आज मॉडर्न और ट्रेडिशनल वैल्यू के बीच संघर्ष के कारण समाज संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। युवा लिबर्टी और पर्सनल पसंद को ज्यादा इम्पोर्टेंस देती है, जबकि ट्रेडिशनल सोसाइटी इन परिवर्तनों को पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पा रही है। यह असंतुलन तनाव और संघर्ष को जन्म देता है, जो अपराधों में वृद्धि का कारण बन सकता है। और भारत में कुछ ऐसा ही हो रहा है।
NCRB की पिछली कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, देश के 19 महानगरों में हत्या के मामलों की तीसरी सबसे बड़ी वजह ‘लव अफेयर या रिलेशनशिप’ रिलेटेड रहे हैं। ये सुनकर हैरानी नहीं होती क्यूंकि ऐसे केस हमें लगभग आए दिन सुनने देखने मिल जाते हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से नए संबंध रिलेशन बनाना और पुराने रिलेशन में दरार आना बेहद आम हो गया है। युवाओं में ईमोशनल इंस्टेबिलिटी, तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वे कई बार गलत निर्णय ले लेते हैं। जो कभी-कभी हिंसक भी होते हैं और इससे अपराधों की संभावना बढ़ रही है। कई लोग यह भी नहीं समझते कि उनके निर्णय के कानूनी परिणाम क्या हो सकते हैं।
इस तरह के अपराधों को रोकने के लिए युवाओं को healthy relation, Emotional Intelligence और Conflict Resolution के तरीकों के बारे में एजुकेट करना जरूरी है। मैथ्स् – साइंस तो ठीक है लेकिन स्कूल – कॉलेजों में इन विषयों पर वर्कशॉप और सेमिनार आयोजित की जानी चाहिए।
इसके अलावा मेंटल हेल्थ की रीच बढ़ाई जानी चाहिए ताकि लोग तनाव और अवसाद से निपटने के लिए सही मदद ले सकें
इसके अलावा युवाओं को सोशल मीडिया के सुरक्षित और जिम्मेदार उपयोग के बारे में भी शिक्षित करना चाहिए ताकि वे ऑनलाइन संबंधों के संभावित खतरों को समझ सकें।
लोगों को उनके कार्यों के कानूनी परिणामों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है ताकि वे समझ सकें कि अपराध करने से उन्हें और समाज को क्या नुकसान हो सकता है।
समाज, परिवार और सरकार के संयुक्त प्रयासों से ही हम इन अपराधों में कमी ला सकते हैं और एक सुरक्षित और स्वस्थ सामाजिक वातावरण बना सकते हैं। लेकिन जरूरत है अभी एक्शन लेने की।