सितंबर 2023 में उज्जैन से एक रूह कंपाने वाली घटना सामने आई थी। 12 साल की रेप पीड़िता को अर्ध नग्न अवस्था में, खून से लथपथ होकर घर-घर जाकर मदद मांगनी पड़ी थी। तकरीबन 2.5 घंटे तक चलने के बाद एक आश्रम के बाहर वो बेहोश हो गई, आश्रम के पुरोहित राहुल शर्मा ने उसकी मदद की थी। अब पीड़िता अपने घर पर है लेकिन सरकार पर संगीन आरोप लग रहे हैं।
क्या उज्जैन रेप पीड़िता की किसी ने मदद नहीं की?
उज्जैन रेप पीड़िता 12 साल की नाबालिग रेप पीड़िता ज़िला सतना की रहने वाली है। रेप सर्वाइर के दादा का आरोप है कि उन्हें ज़िला प्रशासन से और गांव के सरपंच से कोई मदद नहीं मिली। सर्वाइवर के पिता ने ये भी बताया कि वो बकरियां चराते हैं।
क्या रेप सर्वाइवर को मिले सिर्फ़ 1500 रुपये?
उज्जैन की घटना ने पूरे देश को शर्मसार कर दिया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि आरोपी ने मध्य प्रदेश की आत्मा को चोट पहुंचाई है। ये भी कहा कि सर्वाइवर राज्य की बेटी है और उसकी हर संभव मदद की जाएगी। गौरतलब है कि ये दावे अब तक सच नहीं साबित हुए हैं।
रेप सर्वाइवर के पड़ोसियों का दावा है कि नाबालिग रेप सर्वाइवर को अब तक सिर्फ़ 1500 रुपये की मदद मिली है। भाजपा कैंडिडेट सुरेंद्र सिंह गरेवार ने नकद देकर मदद की है।
पड़ोसियों का दावा है कि सर्वाइवर अस्पताल से दवाइयां खरीद रही है। किसी ने भी उसकी मदद नहीं की है। 12 अक्टूबर को ही उसे अस्पताल से छुट्टी मिली है। वहीं सर्वाइवर के परिवार का कहना है कि उन्हें सामाजिक न्याय पेंशन के नाम पर 600 रुपये महीना दिया जा रहा है।
रेप सर्वाइवर को झेलना पड़ रहा है भेद-भाव ?
Hindustan Times की रिपोर्ट का दावा है कि रेप सर्वाइवर ‘दलित’ है इसलिए उसके साथ भेद-भाव हो रहा है। उसके गांव के उच्च जाति के लोग आज भी उस जैसे दलितों के साथ भेद-भाव करते हैं, दलित होने की वजह से ही उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिल रही है। दलित बस्ती में तीन महीने से बिजली नहीं है, पीने के पानी के लिए उनका हैंडपंप भी अलग है।
गांव के एक शख्स का ये भी आरोप है कि सरपंच राजपूत समुदाय से है और वो राजपूतों के उत्थान के लिए काम करता है। राजपूतों के घरों में बिजली की रेगुलर सप्लाई होती है। पंचायत सेक्रेटरी संतोष नामदेव ने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया।
उन्होंने कहा कि दलितों ने बिजली का बिल नहीं भरा हैं। उज्जवला स्कीम में किसी ने आवेदन नहीं दिया। साथ ही ये भी कहा कि हर गांव की अपनी संस्कृति है लेकिन उनके गांव में जाति के आधार पर भेद-भाव नहीं होता।