भारत में digital arrest के मामलों में वृद्धि होती ही जा रही हैं। एक ऐसी ही घटना इस बार उत्तराखंड से सामने आई, जहां अपराधियों ने राज्य में अब तक के सबसे बड़े digital arrest को अंजाम दिया। नैनीताल जिले के 58 वर्षीय प्रोफेसर से आगरा के रहने वाले एक 25 साल के व्यक्ति ने 47 लाख रुपए ठग लिए।
घटना का विवरण!
पीड़ित ने दिसम्बर 2024 में ये शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें WhatsApp और Skype से कॉल करके बताया गया कि वे मनी लॉन्ड्रिंग के केस में शामिल हैं। उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक ओर सीबीआई के नाम से फ़र्ज़ी नोटिस भेजा गया जिससे वे डर गए। पीड़ित अकेले ही रहते हैं और साइबर अपराधों से अनजान थे। अपराधियों ने प्रोफेसर को 18 दिन तक digital arrest में रखा। इस दौरान उन्हें घर पर ही रहने के लिए मजबूर किया गया और किसी भी व्यक्ति से किसी तरह का कोई भी संपर्क रखने से मना किया गया। इस दौरान, अपराधियों ने उनसे अलग अलग खातों में पैसे ट्रांसफर कराए, जिनसे उन्हें 47 लाख रुपए का नुकसान हुआ।
पुलिस की कार्यवाही!
घटना की जानकारी मिलने पर, उत्तराखंड Special Task Force (STF) की साइबर थाना कुमाऊं पुलिस ने तेज़ कार्यवाही करते हुए technical analysis और अलग अलग जगहों पर छापामारी करने के बाद, आगरा से एक आरोपी अमन कुशवाहा को पकड़ लिया। आरोपी के पास से एक फोन, एक सिम और एक आधार कार्ड बरामद हुआ हैं। मामले की जांच और अन्य आरोपियों की तलाश जारी हैं।
डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय!
किसी भी अज्ञात कॉल या मैसेज पर ज़रूरी जानकारी साझा न करें। अगर कोई आपको किसी कानूनी मामले में फंसाने की धमकी दे, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें। साइबर अपराधों के बारे में खुद भी जागरूक रही और दूसरों को भी करें। अपने लैपटॉप में एंटीवायरस तथा फोन की सुरक्षा के लिए भी सॉफ्टवेयर डाउनलोड करें। ऑनलाइन बैंकिंग और शॉपिंग के समय सुरक्षित वेबसाइट का इस्तेमाल करें। बहुत आवश्यक जानकारी सोशल मीडिया पर साझा करने से बचे। इस अपराध से पीड़ित शारीरिक और मानसिक दोनों ही प्रकार से बहुत अधिक प्रभावित हो सकता हैं। इसलिए सतर्कता और व्यक्तिगत जानकारियों को सुरक्षित रखना बहुत ज़रूरी हैं।