भोपाल/इंदौर। मध्यप्रदेश में मौसम वैज्ञानिकों ने इशारा कर दिया है की मानसून का अंतिम दौर चल रहा है। छाए बादल, फुरफुरी और काली घटा से ज्यादा उम्मीद मत लगाइएगा। ये सब मॉनसून की विदाई के इशारे हैं। अगले पांच-सात दिन जो भी बारिश होगी, इसे आखिरी ही मानिएगा। मध्यप्रदेश के दो दर्जन जिले ऐसे हैं, जहां अभी भी जरूरी बारिश से 20 फीसद कम बरसा है।
इंदौर के हाल
इंदौर का जरूरी 35 इंच भी जैसे-तैसे पूरा तो हो जाएगा, लेकिन सवाल है कि क्या यह काफी होगा? रस्म-अदायगी के लिए 30 सितंबर तक बारिश का अंदाजा है, लेकिन ये रिमझिम ही होती रहेगी। 15 सितंबर तक प्रदेश की औसत बारिश 880 मिलीमीटर यानी 35 इंच हो जाना थी, लेकिन अभी तक 750 मिलीमीटर यानी 30 इंच के आसपास ही है। इस बार तय तारीख से पहले बूंदाबांदी शुरू हो गई थी। जुलाई में ऐसा बरसा था कि तरबतर होने का ख्वाब दिखा गया, लेकिन अगस्त में इतना रूठा कि सूखा छोड़ता दिख रहा है। आधा सितंबर भी फुरफुरी में ही गुजर गया।
इन जिलों में ज्यादा परेशानी
राजधानी भोपाल में 28 फीसद का घाटा रह जाने के आसार हैं। जो जिले 20 फीसद तक कम बारिश झेल रहे हैं, उनमें खंडवा, खरगोन, नीमच, शाजापुर, आगर-मालवा, आलीराजपुर, बालाघाट, दमोह, सीधी, सिंगरौली, नर्मदापुरम, राजगढ़, गुना, झाबुआ, धार भी शामिल हैं। इंदौर के हालात बाकी जिलों से बेहतर हैं, लेकिन ऐसे नहीं हैं कि खुश हो जाएं। फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। अगर 35 इंच के आसपास ही बारिश रह गई, तो गरमी आने के पहले ही पीने के पानी की किल्लत हो सकती है। मध्यप्रदेश में मॉनसून आखिरी दौर में बताया जा रहा है। कल बंगाल की खाड़ी में जो सिस्टम बना है, वो पांच-छह दिन तक रिमझिम करवा सकता है। मौसम वैज्ञानिक वेदप्रकाश सिंह कह रहे हैं कि 20 सितंबर के आसपास एक चक्रवात और बन रहा है, जो अच्छी बारिश ला सकता है, लेकिन बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती