कल यानि 11 फरवरी को विज्ञान में महिलाओं और लड़कियों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। आइए जानते है उन 7 भारतीय महिला वैज्ञानिकों के बारे में जिन्होंने इतिहास रचकर भारत का नाम रोशन किया था।
- टेसी थॉमस
टेसी थॉमस जिन्हें भारत की ‘मिसाइल वुमन’ के नाम से भी जाना जाता है। वे भारत में एक मिसाइल परियोजना का नेतृत्व करने वाली पहली महिला वैज्ञानिक थी। 56 वर्षीय टेसी मिसाइल गाइडेंस में डॉक्टरेट थी और तीन दशकों तक इस क्षेत्र में काम किया है। उन्होंने लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों के लिए मार्गदर्शन योजना तैयार की थी, जिसका उपयोग सभी अग्नि मिसाइलों में किया जाता है। उन्हें 2001 में अग्नि आत्मनिर्भरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। - मंगला मणि
इसरो की ‘पोलर वुमन’, मंगला मणि अंटार्कटिका के बर्फीले में एक वर्ष से अधिक समय बिताने वाली इसरो की पहली महिला वैज्ञानिक थी । 56 वर्ष की मंगला ने इस मिशन के लिए चुने जाने से पहले कभी बर्फबारी का अनुभव नहीं किया था। नवंबर 2016 में वह 23 सदस्यीय टीम का हिस्सा थीं, जो अंटार्कटिका में भारत के अनुसंधान स्टेशन भारती में एक अभियान पर गई थीं। इसरो के ग्राउंड स्टेशन के संचालन और देख रेख के लिए उन्होंने 403 दिन बिताए। - रितु करिधल
चंद्रयान-2 मिशन के मिशन निदेशक के रूप में रितु करिधल को भारत की सबसे महत्वाकांक्षी चंद्र परियोजनाओं में से एक में भूमिका निभाने के लिए लाया गया था। वुमन ऑफ़ इंडिया’ के नाम से मशहूर रितु साल 2007 में ISRO में शामिल हुई और भारत के मार्स ऑर्बिटर मिशन, मंगलयान के उप संचालन निदेशक भी थीं। 2007 में, उन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने ‘इसरो यंग साइंटिस्ट अवार्ड’ से सम्मानित किया था। - जानकी अम्माल
जानकी अम्माल को 1977 में भारत सरकार की ओर से पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। पद्मश्री सम्मान पाने वालीं वो देश की पहली महिला वैज्ञानिक थीं। वह बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर के पद पर भी कार्यरत रहीं। - आनंदीबाई गोपालराव जोशी
आनंदीबाई गोपालराव जोशी भारत की पहली महिला फिजिशियन थीं। आनंदीबाई की शादी महज 9 साल की उम्र में हो गई थी। 14 साल की उम्र में आनंदीबाई मां बन गई थीं, लेकिन दवाई की कमी के कारण उनके बेटे की कम उम्र में ही मृत्यु हो गई थी। इसके बाद उन्होंने दवाइयों पर रिसर्च करने की सोची। आनंदीबाई के पति ने उन्हें विदेश जाकर मेडिसिन पढ़ने के लिए प्रेरित किया था। आनंदीबाई ने वुमन्स मेडिकल कॉलेज पेंसिलवेनिया से पढ़ाई की थी। - कमला सोहोनी
कमला सोहोनी प्रोफेसर CV रमन की पहली महिला स्टूडेंट थीं और पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक भी थीं, जिन्होंने PhD की डिग्री हासिल की। इन्होंने ये खोज की थी कि हर प्लांट टिशू में ‘Cytochrome C’ नाम का एन्जाइम पाया जाता है। - असीमा चटर्जी
असीमा चटर्जी ने कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से 1936 में केमेस्ट्री सब्जेक्ट में ग्रैजुएशन की थी। एंटी-एपिलिप्टिक (मिरगी के दौरे), और एंटी-मलेरिया ड्रग्स का डेवलपमेंट असीमा चैटर्जी ने ही किया था। असीमा चैटर्जी कैंसर से जुड़ी एक रिसर्च में भी शामिल थीं।