जब शेक्सपियर की बात आती है। तो रोमियो – जूलीएट का वो ‘what’s in the name’ वाला प्रसंग याद आता है। “नाम में क्या रखा है? जिसे हम गुलाब कहते हैं, किसी भी अन्य नाम से उसकी खुशबू उतनी ही मीठी होगी।” यह जूलियट की पंक्ति है जब वह रोम को बता रही है कि नाम एक नाम के अलावा और कुछ नहीं है और इसलिए यह एक परंपरा है जिसके पीछे कोई अर्थ नहीं है। वह अपने प्यार का इज़हार करती है और उसे बताती है कि वह उस व्यक्ति से प्यार करती है जिसका वास्तव में “मोंटेग्यू” नाम है, न कि नाम से खैर नाम मे क्या रखा मे करोड़ों लोगों के कई और करोड़ मत है। हम उस पर फिर कभी जायेंगे। फ़िलहाल हमारे देश मे भारत बनाम इंडिया वाली बहस चरम पर है अब बदलाव प्रकृति का नियम है तो हो सकता देश का नाम सिर्फ भारत फिर से कर दिया जाये क्यूंकि colonial period के पहले भी हमारा एक नाम था तो उस पर लौट जाने मे कैसा हर्ज़। बहरहाल इस लेख मे भी हम ऐसे ही एक नाम के हेर फ़ेर के बारे मे बात करेंगे।
इस लेख को लिखने का ख्याल मेरे मन मे बहुत समय से था। दरअसल मेरे साथी लेखक ने अपनी एक फिल्म रिव्यू कॉपी मे एक बार बॉलीवुड शब्द का जिक्र किया तब हमारे मेंटर ‘अग्रज मिश्रा’ जो खुद एक सिनेमा लवर और लेखक है उन्होंने हमे ये समझाया कि “बॉलीवुड क्या है, बॉलीवुड नाम एक खोखला खाँचा है, ये ग्लैमरस दिखने के लिए बाहर हॉलीवुड से एडोपट और कॉपी किया गया नाम है। हमारा सिनेमा हिंदी सिनेमा है जिसमें ना सिर्फ मुंबई फिल्म इंडस्ट्री बल्कि वो तमाम फिल्म इंडस्ट्री भी आती है जो भारत मे स्थित हैं।”
डायरेक्टर सुधीर मिश्रा ने भी एक बार ऐसी ही बात कही थी। उन्होंने कहा, भारतीय फिल्म उद्योग दुनिया में सबसे बड़ा है। हमें वह शब्दावली क्यों लेनी चाहिए जो किसी अन्य देश के उद्योग से संबंधित है? जिसने भी इसका इस्तेमाल किया होगा उसने बहुत ही बढ़िया आइडिया सोचा होगा कि इसे भारतीय फिल्मों के लिए इस्तेमाल किया जाए। हमारे देश में कई फिल्म उद्योग हैं, प्रत्येक भाषा की अपनी भाषा है,”
ऐसे ही 2019 के एक पैनल डिस्कसन में हमारे देश के दिग्गज डायरेक्टर मे से एक मणिरत्नम ने भाग लिया, जहां उन्होंने विश्व सिनेमा पर दक्षिण भारतीय फिल्मों के मौलिक प्रभाव के बारे में बात की। यह पैनल चेन्नई में CII साउथ मीडिया और मनोरंजन शिखर सम्मेलन में आयोजित किया गया था। चर्चा के दौरान मणिरत्नम ने कहा कि अगर हिंदी फिल्म उद्योग खुद को बॉलीवुड के रूप में संदर्भित करना बंद कर सकता है, तो यहां के लोग और भारत के लोग भी भारतीय सिनेमा को बॉलीवुड के रूप में पहचानना बंद कर देंगे। फिल्म ‘luck by chance’ मे डिम्पल कपाड़िया का कैरेक्टर भी हिंदी सिनेमा बनाम बॉलीवुड नामों के बीच हिन्दी सिनेमा को तव्वजो देने की बात करते हुये नजर आता है।
निर्देशक संजय लीला भंसाली ने भी बर्लिन फिल्म फेस्टिवल पैनल चर्चा में एक पत्रकार को सही किया था और ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ को बॉलीवुड फिल्म के बजाय ‘भारतीय फिल्म’ कहा था। उन्होंने कहा, “गंगूबाई एक भारतीय फिल्म है। यह भारतीय सिनेमा है, हम यहां आते हैं और यहां खड़े होते हैं और दुनिया के सामने इसका प्रतिनिधित्व करते हैं।”
बड़े filmmakers ने भी ‘बॉलीवुड’ नाम को नकारते हुए खुद को भारतीय सिनेमा के निर्देशक कहना पसंद करते हैं
2020 मे निर्देशक अनुभव सिन्हा ने एक ट्वीट कर यह मोर्चा खोल दिया कि वह बॉलीवुड से ‘इस्तीफा’ दे रहे हैं, बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि वह पूरी तरह से फिल्में बनाना बंद नहीं कर रहे हैं, लेकिन वे ‘भारतीय/हिंदी फिल्म’ का हिस्सा हैं ना कि बॉलीवुड। इस मोर्चे मे जुड़ते हुए हंसल मेहता और सुधीर मिश्रा जैसे अन्य निर्माताओं ने भी ट्वीट किया कि । इसके बजाय उद्योग’। हम अधिक फिल्म निर्माताओं से ‘बॉलीवुड’ शब्द पर उनकी राय के बारे में बात करते हैं।
हंसल मेहता ने एक बार कहा कि ‘बॉलीवुड’ शब्द हिंदी सिनेमा के लिए ‘बहुत अपमानजनक’ शब्द है। “लोग इसे ‘बॉलीवुड’ कहते रहते हैं, इसका अस्तित्व ही नहीं है। हम सभी भारतीय सिनेमा का हिस्सा हैं, बॉलीवुड पश्चिम से उधार लिया गया है। क्या हम फ्रेंच सिनेमा को फ़ॉलीवुड कहते हैं? दुर्भाग्य से, बॉलीवुड ट्रोल्स के लिए पंचिंग बैग बन गया है।
हजारों ख्वाहिशें ऐसी (2003) और खोया खोया चांद (2007) जैसी फिल्मों का निर्देशन करने वाले दिग्गज सुधीर मिश्रा का मानना है कि यह शब्द 100 साल से अधिक पुरानी फिल्म उद्योग का अपमान है। “बिमल रॉय और गुरु दत्त जैसे महान फिल्म निर्माता क्या बॉलीवुड से थे? वे भारतीय फिल्म उद्योग से थे। हम ऐसी फिल्में और सिनेमा बनाना चाहते हैं जो सभी के लिए हो, चाहे वह जबलपुर या जमशेदपुर, चेन्नई या केरल में रहने वाला व्यक्ति हो, आज सिनेमा हर किसी का है। हम उस मूल इरादे पर वापस जा रहे हैं कि हम यहां क्यों आये।
अनुराग बसु ने एक बार कहा था कि जब मैं इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में जाता हूं तो मुझे शर्म आती है जब हमें बॉलीवुड कहा जाता है।’ कोरियाई सिनेमा है, फ्रेंच सिनेमा है, इटालियन सिनेमा है… भारतीय सिनेमा क्यों नहीं?”
हाल ही मे सनी देओल भी कयी इंटरव्यूज मे बॉलीवुड नाम को नकारते हुए नजर आ चुके हैं। खोजा जाये तो ऐसे अन्य कयी उदाहरण और मिल जाएंगे।
हॉलीवुड मैग्जीन मे हिंदी सिनेमा का मज़ाक उड़ाने के लिये लिखा जाता था शब्द ‘बॉलीवुड’
भारत का बंगाली फिल्म उद्योग कोलकाता में स्थित है। जिस क्षेत्र में यह केंद्रित था उसे टॉलीगंज के नाम से जाना जाता है। 1930 के दशक की शुरुआत में, “टॉलीवुड” शब्द बंगाली फिल्म उद्योग के लिए हॉलीवुड पर एक तरह के मजाक उड़ाने के रूप में पत्रिकाओं में लिखा गया था । बॉलीवुड शब्द का उदय हॉलीवुड के “H” को “B” से बदलकर किया गया था, जो कि “बॉम्बे” का पहला अक्षर है, जिस पर हिंदी फिल्म इंडस्ट्री आधारित है। “बॉलीवुड” नाम बॉम्बे (मुंबई का पूर्व नाम) और अमेरिकी फिल्म उद्योग के केंद्र हॉलीवुड से लिया गया एक मिश्रण है। हालाँकि, हॉलीवुड के विपरीत, बॉलीवुड एक physical place के रूप में मौजूद नहीं है। हालाँकि कुछ लोग इस नाम की निंदा करते हैं, यह तर्क देते हुए कि यह उद्योग को हॉलीवुड के गरीब चचेरे भाई की तरह बनाता है, ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में इसकी अपनी डेफिनिशन है। यह 1970 के दशक में लोकप्रिय हुआ जब हिंदी फिल्म उद्योग निर्मित फिल्मों की संख्या के मामले में हॉलीवुड को पछाड़कर दुनिया में सबसे बड़ा बन गया। लेकिन रह गया तो वो एडोपट किया गया नाम। इस शब्द के श्रेय का दावा कई अलग-अलग लोगों द्वारा किया गया है, जिनमें गीतकार, फिल्म निर्माता और विद्वान अमित खन्ना और पत्रकार बेविंडा कोलाको शामिल हैं।
कोलकाता स्थित लोकप्रिय जूनियर स्टेट्समैन युवा पत्रिका द्वारा “टॉलीवुड” नाम को बंगाली फिल्म उद्योग के उपनाम के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा, जिसने अन्य फिल्म उद्योगों के लिए समान-ध्वनि वाले नामों का उपयोग करने की एक मिसाल कायम की, अंततः “बॉलीवुड” शब्द गढ़ा गया। हालाँकि, अधिक लोकप्रिय रूप से, टॉलीवुड का उपयोग अब तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में तेलुगु फिल्म उद्योग को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।
संपूर्ण भारतीय सिनेमा को संदर्भित करने के लिए इस शब्द का अक्सर गलत तरीके के रूप में उपयोग किया जाता है; हालाँकि, यह बड़े भारतीय फिल्म उद्योग का केवल एक हिस्सा है, जिसमें कई भाषाओं में फिल्में बनाने वाले अन्य उत्पादन केंद्र भी शामिल हैं। बॉलीवुड भारत में सबसे बड़े फिल्म निर्माताओं में से एक है और दुनिया में फिल्म निर्माण के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है। इसे अधिक औपचारिक रूप से हिंदी सिनेमा कहा जाता है। भारतीय सिनेमा के अंदर अन्य वुड भी हैं जैसे टॉलीवुड (तेलुगु फ़िल्मों के लिए), कॉलीवुड (तमिल के लिए), सैंडलवुड (कन्नड़ फ़िल्मों के लिए), मोलीवुड (मलयालम फ़िल्मों के लिए) आदि।
भारतीय सिनेमा नाम गौरव का प्रतीक
भारतीय सिनेमा बहुत बड़ा है। “खुद को बॉलीवुड कहना एक feaudal mindset है, हमारी अपनी पहचान है। हम भारतीय सिनेमा हैं, जहां 15 से ज्यादा भाषाओं में फिल्में बनती हैं। हमारे जैसा कोई फिल्म उद्योग नहीं है। हमें खुद को बॉलीवुड कहकर अपमानित नहीं करना चाहिए।’ तो डायरेक्टर मणिरत्नम की ही तरह मैं ‘woods’ का प्रशंसक नहीं हूं। जैसे बॉलीवुड, कॉलीवुड। हमें हमारे हमारे देश के सिनेमा को समग्र रूप से भारतीय सिनेमा के रूप में देखने की जरूरत है।