पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर अपने बयान की वजह से सुर्खियों में आ गई है। आज चुनाव के बाद दिल्ली में पहली नीति आयोग की बैठक हुई थी। यह बैठक प्रधानमंत्री के सामने राज्यों की चिंताएं रखने के लिए आयोजित की गई थी। इसमें ममता इकलौती गैर-भाजपा शासित राज्य की मुख्यमंत्री थी। इस बैठक में कांग्रेस गठबंधन से किसी भी नेता ने भाग नहीं लिया था। इसी बैठक के दौरान ममता ने राजनीतिक भेदभाव का आरोप लगाया।
बैठक से बाहर निकलने के बाद ममता ने मीडिया से कहा कि, केंद्र को राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। वह बोलना चाहती थी, लेकिन उनका माइक बीच में ही म्यूट कर दिया गया था। उन्हें केवल 5 मिनट तक ही बोलने की अनुमति दी गई थी, जबकि उनसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट तक बोला था। विपक्ष की तरफ से वह अकेली थी जो इस बैठक में शामिल हुई थी, लेकिन फिर भी उन्हें बोलने नहीं दिया गया। यह उनके लिए बहुत ही अपमानजनक है।
ममता के इस बयान के बाद, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री “एम.के. स्टालिन” ने उनके लिए अपना समर्थन व्यक्त किया और ट्वीट कर कहा कि, क्या यह सहकारी संघवाद है? क्या मुख्यमंत्री के साथ व्यवहार करने का यही तरीका है? केंद्र की भाजपा सरकार को यह समझना चाहिए कि विपक्षी दल लोकतंत्र का अहम अंग हैं और उन्हें दुश्मन नहीं समझा जाना चाहिए। सहकारी संघवाद के लिए संवाद और सभी आवाज़ों का सम्मान आवश्यक है।
हालांकि, ममता के इस बयान के बाद प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB/पीआईबी) ने दावों के तथ्य की जांच की और कहा कि यह दावा भ्रामक हैं। पीआईबी ने जांच के बाद कहा कि, ऐसा दावा किया जा रहा है कि, नीति आयोग की 9वीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का माइक बंद कर दिया गया था। हालांकि, यह दावा भ्रामक है। घड़ी सिर्फ यह दर्शा रही थी कि, उनका बोलने का समय समाप्त हो गया था। यहां तक कि उसे चिह्नित करने के लिए घंटी भी नहीं बजाई गई थी। वहीं, नाम के वर्णमाला के अनुसार, ममता की बारी दोपहर के भोजन के बाद आती। लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार के आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता में रखा गया।
पीआईबी की जांच के बाद, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ममता पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि, ममता का यह दावा कि उनका माइक बंद कर दिया गया था, वह पूरी तरह से झूठा है। ममता नीति आयोग की बैठक में शामिल हुईं। उन सभी ने उनकी बात सुनी। हर मुख्यमंत्री को बोलने के लिए उचित समय दिया गया। इसके बावजूद यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि, उन्होंने ऐसा बयान दिया। उन्हें झूठ पर आधारित कहानी बनाने के बजाय इसके पीछे का सच बोलना चाहिए था।