भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म में भगवान हनुमान का अपना एक विशेष स्थान हैं। वे शक्ति, भक्ति, साहस और सेवा के प्रतीक माने जाते हैं। उनका जन्मदिन “हनुमान जयंती” या “हनुमान जन्मोत्सव” के रूप में मनाया जाता हैं। ये पावन पर्व चैत्र महीने की पूर्णिमा को भक्तों द्वारा धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस दिन भक्तजन हनुमान जी की पूजा एवं दर्शन कर सभी प्रकार के संकटों को दूर करने और शक्ति-बुद्धि पाने का आशीर्वाद मांगते हैं।
हनुमान जी का परिचय
वैसे तो आम जनों को हनुमान जी के परिचय की ज़रूरत नहीं हैं, मगर जो नहीं जानते उनके लिए बता दें कि हनुमान जी माता अंजनी और केसरी के पुत्र हैं। वायुदेव उनके जीवनदाता और आध्यात्मिक पिता हैं। वे स्वयं महादेव के 11वें रुद्रावतार माने जाते हैं। उनके सूर्य को फल समझकर खा जाने की कहानी तो हम सभी जानते ही हैं। इस प्रसंग से हमें उनकी अतुलनीय शक्ति और निश्चलता का परिचय मिलता हैं।
हनुमान जी को मिले वरदान
बचपन में ही हनुमान जी को अनेक देवताओं से कई वरदान प्राप्त हो गए थे। ब्रह्मदेव ने उन्हें ऐसा वरदान दिया कि कोई भी अस्त्र-शस्त्र उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। इंद्रदेव ने उन्हें वज्र के समान मजबूत और कठोर शरीर का वरदान दिया। वायुदेव ने उन्हें हवा की गति से कहीं भी जाने की शक्ति दी। अग्निदेव ने उन्हें आग से न जलने का वरदान दिया। वरुणदेव ने जल में डूबने से बचाने का वरदान दिया। सूर्यदेव ने उन्हें ज्ञान और तेज का वरदान दिया। इसके अलावा महादेव और भगवान विष्णु ने भी उन्हें अनेक शक्तियाँ प्रदान कीं। कहा जाता है कि बचपन में अत्यधिक शरारती स्वभाव के कारण ही उन्हें ऋषि-मुनियों द्वारा यह श्राप मिला था कि “वे अपनी शक्तियों को तब तक भूल जाएँगे, जब तक कोई उन्हें उनकी शक्ति की याद नहीं दिलाएगा।” बाद में लंका युद्ध के समय जामवंत जी ने उन्हें उनकी शक्ति और सामर्थ्य का स्मरण कराया, तब जाकर हनुमान जी को अपने असली बल की याद आई।
रामायण और महाभारत में उनकी भूमिका
त्रेतायुग के श्रीराम और रावण के युद्ध में उन्होंने एक अहम भूमिका भी निभाई। उन्होंने कई राक्षसों का वध किया। जैसे – अहिरावण, कालनेमी, लंकिनी, अक्षयकुमार आदि। लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए वे पूरे संजीवनी पर्वत को ही उठा लाए थे। द्वापरयुग में भी हमें उनका उल्लेख मिलता हैं जब वे महाभारत युद्ध के समय अर्जुन के रथ की ध्वजा पर विराजमान थे। यही कारण था कि अर्जुन का रथ अपराजेय रहा।
इस दिन क्या-क्या किया जाता हैं?
इस पवित्र दिन पर भक्त सुबह स्नान कर हनुमान मंदिर में जाकर पूजा और दर्शन करते हैं। उन्हें सिंदूर, चने-गुड़, फूल अर्पित किए जाते हैं। मंदिरों में रामायण और हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता हैं। मंदिरों में भंडारों का आयोजन होता हैं और प्रसाद भी बांटा जाता हैं। कई जगह हनुमान जी की शोभायात्रा भी निकाली जाती हैं।
निष्कर्ष
हनुमान जन्मोत्सव न सिर्फ एक पर्व है, बल्कि यह भक्ति, श्रद्धा और आस्था का प्रतीक भी है। इस दिन भगवान हनुमान जी की पूजा करके भक्त उनसे शक्ति, बुद्धि, साहस, विनम्रता और सेवा भाव की प्रेरणा लेते हैं। हनुमान जी के जीवन से यह सिखने को मिलता है कि अगर मन, वचन और कर्म से सच्ची भक्ति की जाए तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। संकटमोचन हनुमान जी अपने भक्तों के सभी दुखों और बाधाओं को दूर करते हैं और जीवन में सफलता व सुख-शांति प्रदान करते हैं।