25 मार्च का दिन भारतीय print media के लिए बेहद खास हैं, क्योंकि यही वो दिन हैं जब 237 साल पहले 1788 में “Calcutta Gazette” ने पहली बार किसी भारतीय भाषा (बांग्ला) में पहला advertisement प्रकाशित किया था। इस घटना को भारतीय media के लिए एक मील का पत्थर कहा जा सकता हैं। जिसने देश के media landscape को आकार देने में अहम भूमिका निभाई। इसने भारतीय journalism की नींव को तो मज़बूत किया ही, साथ में regional languages के लिए भी एक नया रास्ता खोल दिया।
“Calcutta Gazette” भारत का पहला english अखबार था, जिसे एक अंग्रेज़ी अफसर Francis Gladwin ने 1784 में शुरु किया था। ये भारत के सबसे पहले अखबारों में से एक माना जाता हैं। ज़ाहिर हैं कि उस वक्त बहुत से लोग english नहीं समझ पाते थे, लेकिन जब “Calcutta Gazette” ने पहली बार किसी भारतीय भाषा में पहली बार advertisement प्रकाशित किया, तो वो सचमुच एक नए दौर की शुरुआत ही थी।
इसने पहली बार भारत की अपनी भाषाओं में प्रकाशित content के importance को उजागर किया। उस समय सिर्फ ऊंचे पदों पर बैठे हुए और पढ़ें लिखे लोग ही english लिख-पढ़ सकते थे। बाकी लोग हिन्दी, मराठी, बांग्ला जैसी भाषाओं का ही इस्तेमाल किया करते थे। जब भारत की भाषाओं में समाचार और advertisements प्रकाशित होने लगे, तब आम जनता को अपनी भाषा में खबरें जानने का मौका मिला। बाद में 1821 में राजा राम मोहन रॉय ने “संवाद कौमुदी” नाम का अखबार निकाला।
हालांकि ये तो सिर्फ शुरुआत थी। आज़ादी की लड़ाई के दौरान भी लोकमान्य तिलक और श्री अरविंद जैसे महान नेताओं ने भी मराठी और बांग्ला भाषाओं में “केसरी” और “वंदे मातरम” जैसे अखबार निकाले जिसमें अंग्रेज़ों की भारत विरोधी नीतियों की खूब आलोचना की जाती थी। वन्दे मातरम लंबे वक्त तक नहीं चल पाया मगर केसरी का publication आज भी जारी हैं। इनके अलावा भी दूसरी भाषाओं में अखबार छपे जिन्होंने जनता को उस समय की सभी ज़रूरी खबरें मुहैया कराई।
1947 से लेकर अब तक print media ने बहुत ज़्यादा तरक्की कर ली हैं। TV के द्वारा News channels आप तक खबरें पहुंचा रहे थे। अब तो Phones और Laptops/PCs पर भी आप दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर देश-दुनिया की खबरें जान सकते हैं। कहीं न कहीं ये उसी पहली कोशिश का नतीजा हैं।