5 फरवरी को हुए दिल्ली विधानसभा के आज नतीजे घोषित हुए, जहां भाजपा ने 27 साल का सूखा खत्म करते हुए आखिरकार चुनाव जीत ही लिया। भाजपा 8 से 48 सीटों पर पहुंच चुकी हैं, वहीं आप 62 से सीधे 22 सीटों पर खिसक गई। कांग्रेस का लगातार तीसरे चुनाव में खाता नहीं खुला।
कई बड़े नेता हारे!
सबसे पहले आम आदमी पार्टी के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव हार गए। उन्हें भाजपा के परवेश साहिब सिंह वर्मा ने 3,182 वोटों से हराया। एक दिलचस्प बात यह भी रही कि कांग्रेस के संदीप दीक्षित 4,568 वोट हासिल करने में कामयाब रहे। यदि गठबंधन में चुनाव लड़ा जाता तो केजरीवाल की जीतने की संभावना अधिक थी।
अब बारी पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जो इस बार जंगपुरा सीट से लड़े थे। जिन्हें भाजपा के तरविंदर सिंह मारवाह ने 7,111 वोटों से पराजित किया।
एक और प्रसिद्ध चेहरे को भी हार का सामना करना पड़ा। एजुकेटर अवध ओझा जो यूट्यूब पर शिक्षा से जुड़े विडियोज के लिए मशहूर है उन्हें पटपड़गंज से रविंद्र सिंह नेगी 6,852 वोट से पराजय मिली। इन सब के अलावा सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती और सत्येंद्र कुमार जैन भी पराजित हुए। केवल आतिशी ही कालकाजी सीट बचाने में कामयाब रही। उन्होंने रमेश बिधूड़ी को हराया।
क्या कारण रहे जिनकी वजह से एक दशक के बाद आप की हार हुई?
गठबंधन में न लड़ना!
एक कारण जो भाजपा के लिए फायदेमंद और आप के लिए नुकसानदायक साबित हुआ, वह है गठबंधन में चुनाव न लड़ना। कांग्रेस और आप दोनों ही एक दूसरे के साथ उलझे हुए थे। दोनों पार्टियां INDI ब्लॉक में तो साथ है, लेकिन पंजाब में एक दूसरे की घोर प्रतिद्वंद्वी है। चुनाव से एक हफ्ता पहले ही राहुल गांधी ने केजरीवाल-सिसोदिया की जोड़ी को शराब घोटाले का मास्टरमाइंड बताया और शीशमहल का ज़िक्र करके तीखा हमला किया। इस प्रकार का विभाजन से आप को नुकसान ही हुआ।
शराब घोटाला और प्रमुख चेहरों का जेल जाना!
दिल्ली में शराब घोटाला लंबे समय तक चर्चा का विषय रहा। इस मामले में पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जेल भी गए। इसके अलावा अरविंद केजरीवाल, सत्येंद्र कुमार जैन और संजय सिंह जैसे बड़े चेहरे भी जेल की सज़ा काटकर आए, जिनके कारण लोगों का विश्वास कम हुआ।
दावा करके उन्हें पूरा न कर पाना!
दिल्ली में महिलाओं से यह वादा किया गया था कि चुनाव में जीत के बाद हर महीने 2100 रूपए उन्हें दिए जाएंगे इसके अलावा, 2023 में भी 1000 रुपए देने का वादा किया जिसे पूरा नहीं कर पाए। कुछ इसी प्रकार का वादा पंजाब में भी किया था, जो पूरा नहीं हो सका। इसके अलावा केजरीवाल सरकार ने 24 घंटे साफ पानी और अच्छी सड़कों का वादा तो किया, मगर उसे पूरा नहीं किया। यमुना नदी की सफाई, दिल्ली शहर में कचरे की समस्या जैसे मुद्दों पर भी कोई हल नहीं निकल पाया। इनके कारण लोगों में नाराज़गी थी।
तो ये कुछ प्रमुख कारण रहे, जिनकी वजह से भाजपा ने 27 वर्षों के बाद वापसी की और आप सत्ता से बाहर हुई। हम आशा करते है कि भाजपा सरकार भी केवल फ्रीबीज़ के सहारे न रहकर जनता की समस्याओं को सुलझाए और दिल्ली सही मायने में देश की राजधानी के रूप में अपनी भूमिकाएं निभा सके।