हाल ही में कार्तिक की आने वाली फिल्म ‘चंदू चैंपियन’ का ट्रेलर रिलीज़ हुआ है। एक प्रोफेशनल एथलीट जैसी शानदार बॉडी और बॉक्सिंग करते कार्तिक ने खूब चर्चा बटोरी है। साथ ही फिल्म की कहानी भी दिलचस्प लग रही है। ट्रेलर आने के बाद फिल्म की अच्छी खासी हाइप बन गई है। इस फिल्म से जुड़ी एक और खास बात ये भी है कि इसे सुशांत सिंह राजपूत की याद मे 14 जून को रिलीज़ किया जायेगा क्यूंकि पहले इस फिल्म को सुशांत ही करने वाले थे। 14 जून वही तारिख है जिस दिन सुशांत इस दुनिया को अलविदा कह गए थे।
डायरेक्टर कबीर खान की ये नई फिल्म इंडिया के पैरालिम्पिक तैराक, मुरलीकांत पेटकर की बायोपिक है। मुरलीकांत पेटकर एक वॉर हीरो हैं। वे इंडियन आर्मी में इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स कोर में क्राफ्ट्समैन रैंक के जवान थे। पाकिस्तान के खिलाफ 1956 के वॉर के दौरान उन्हें नौ गोलियां लगीं थी। दरअसल वह दोपहर मे चाय के लिए बाहर गए थे कि तभी हवाई हमले का संकेत देने के लिए सीटी बजाई गई। पेटकर ने अपने कमरे में वापस जाने की कोशिश की लेकिन गोलीबारी शुरू हो चुकी थी। उन्हें कई गोलियां लगीं और सेना के एक वाहन ने उन्हें कुचल दिया। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने उन्हें जीवन भर के लिए विकलांग बना दिया। उनकी रीढ़ की हड्डी में बहुत लंबे समय तक गोली लगी रही। जिसके चलते वह 2 साल के लिए कोमा में भी चले गए और अस्पताल में ही भर्ती रहे थे। हालांकि ठीक होने के बाद पेटकर ने हार न मानने का फैसला किया और स्विमिंग सहित बाकी के खेलों की ओर अपना रुख कर लिया था।
बचपन से वो हमेशा कुश्ती खेला करते थे। इसके साथ ही वो अपना करियर स्पोर्ट्स में बनना चाहते थे लेकिन परिवार की तरफ से उतना साथ नहीं मिला जितना वो हमेशा चाहते थे। जब घर से उतना स्पोर्ट नहीं मिला तो उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से भारतीय सेना में भर्ती हो गए। जंग ने उन्हें शारीरिक रूप से विकलांग तो बना दिया लेकिन मानसिक रूप से उनके हौंसले कभी नहीं टूटे।
वे भारत के पहले पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने जर्मनी के हीडलबर्ग में 50 मीटर फ्रीस्टाइल में 37.33 सेकंड के समय के साथ इतिहास रचा और देश के लिए गोल्ड मेडल जीता था। इसके साथ ही उन्होंने भाला फेंक और स्लैलम में भी हिस्सा लिया। पेटकर तीनों इवेंट्स में फाइनलिस्ट रहे। 1968 में इजराइल के तेल अवीव में पैरालिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया था। इस दौरान वो टेबल टेनिस में दूसरे स्थान पर रहे थे। उन्होंने आर्मी की ओर से बॉक्सिंग भी की।
50 वर्ष की उम्र में उन्हें पुणे में टेल्को द्वारा नियुक्त किया गया। साल 2018 में पेटकर को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।
कार्तिक ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट के बारे में बात करते हुए कहा कि, जब कबीर खान ने उन्हें पहली बार फिल्म की कहानी बताई थी तो उन्हें यकीन hiyनहीं हुआ कि ये कहानी सच है या फिक्शन।