“मनुष्य केवल जीवन के क्षणों को ही समझ सकता है। लेकिन किसी के लिए वे क्षण ही सम्पूर्ण जीवन होते हैं।”… जब लेखिका ‘हान कांग’ उनकी किताब ‘ह्यूमन एक्ट्स’ लिख रहीं थीं, तो उसमें एक संवाद था : “Don’t die. Please don’t die.” ये संवाद लेखिका ‘हान कांग’ ने अपनी पुरानी याददाश्त के सागर मे गोते लगाकर निकाल कर लाई थीं। ये उनकी माँ की याद से जुड़ा था…’हान’ की मां ने उन्हें एक बार बताया कि वह उन शब्दों को बार-बार उस बहन से कहती रही जो उनके जन्म से पहले मर गई थी। इस एक संवाद को लिखने का क्षण मे ही लेखिका का सम्पूर्ण जीवन समाहित था। वैसे कितनी बड़ी विडंबना है कि लेखिका ‘हान कांग’ के नाम मे ‘हान’ शब्द के पीछे एक बड़ी कहानी है। ‘हान’ एक ऐसा शब्द है जो सीमा पार विभाजित कोरियाई परिवारों के दर्द और आघात को व्यक्त करता है। ‘हान’ को अक्सर गहरे दुःख, आक्रोश, शोक, पश्चाताप और क्रोध की आंतरिक भावना के रूप में वर्णित किया जाता है। हान कोरिया में विभाजन का प्रतीक है, जो उत्तर और दक्षिण के बीच की सीमा का एक दर्दनाक अनुस्मारक है, जिसने कई दशकों से परिवारों को अलग कर रखा है।
दक्षिण कोरियाई लेखिका ‘हान कांग’ का जन्म 27 नवंबर 1970 को दक्षिण कोरिया के ग्वांगजू शहर में हुआ। साहित्य उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा, क्योंकि उनके पिता भी एक प्रसिद्ध लेखक थे। हान कांग ने 1993 में साहित्य की दुनिया में कदम रखा जब उनकी पहली कविता प्रकाशित हुई। उनके बाद के उपन्यास और कहानियाँ दक्षिण कोरिया के समाज और इतिहास की गहरी को टटोलती हैं। विशेष रूप से ग्वांगजू नरसंहार जैसी घटनाओं का उनके लेखन पर गहरा प्रभाव पड़ा है।
‘हान’ ने 2024 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करके दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। कांग के उपन्यासों, कविताओं और गद्य ने जीवन की त्रासदी, हिंसा और मानवता की जटिलताओं को बेहद संवेदनशीलता के साथ उभारा है।
उनका सबसे चर्चित उपन्यास “The Vegetarian” है, जिसे 2007 में प्रकाशित किया गया और 2016 में इसे बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार से भी नवाजा गया। इस उपन्यास ने दुनियाभर में उनके साहित्य को पहचान दिलाई, जिसमें उन्होंने एक महिला की हिंसा और आत्मनिर्भरता की जटिलताओं को बारीकी से चित्रित किया है। उनका दूसरा प्रसिद्ध उपन्यास “Human Acts” 1980 के ग्वांगजू विद्रोह और उसकी क्रूरता पर आधारित है, जिसमें व्यक्तिगत और सामाजिक दुख – दर्द को बारीकी से दर्शाया गया है।
हान कांग की लेखन शैली को उनकी गहराई, मौन और सूक्ष्मता के लिए पहचाना जाता है। उनकी लेखनी में एक खास तरह की संवेदनशीलता है जो पाठक को न सिर्फ भावनात्मक रूप से प्रभावित करती है, बल्कि उसे अपने भीतर के सवालों से भी रूबरू कराती है। उनकी रचनाओं में में मानव जीवन के क्षणों की नाजुकता और उसकी जटिलता को बहुत ही खूबसूरती से चित्रित किया गया है।
“After you died I couldn’t hold a funeral,
So these eyes that once beheld you became a shrine.
These ears that once heard your voice became a shrine.
These lungs that once inhaled your breath became a shrine.
After you died I could not hold a funeral,
And so my life became a funeral.”
‘हान कांग’ की एक विशेषता यह है कि वह मौन का उपयोग एक कथात्मक उपकरण के रूप में करती हैं। उनके किरदार अधिकतर अपने संघर्षों को अंदर ही दबाकर रखते हैं, और उनके शब्दों के पीछे छिपा हुआ दर्द पढ़ने वाले को महसूस होता है। उनकी कविताएँ भी शब्दों के सीमित उपयोग के बावजूद गहरे भावनात्मक प्रभाव छोड़ती हैं। हान कांग का मानना है कि शब्दों से अधिक, भावनाएँ और अनुभव व्यक्ति की पहचान को गहराई से प्रकट करते हैं।
“The feeling that she had never really lived in this world caught her by surprise. It was a fact. She had never lived. Even as a child, as far back as she could remember, she had done nothing but endure.”
उनकी लेखनी में प्रकृति का भी एक खास स्थान है। “The vegetarian” में मुख्य किरदार अपने शरीर और आत्मा के बीच के संबंध को तोड़ने का प्रयास करती है। हान कांग की रचनाओं में बार-बार प्रकृति की छवियों का आना इस बात की ओर संकेत करता है कि वह मानव और प्राकृतिक दुनिया के बीच गहरे संबंध को समझती हैं।
“Time was a wave, almost cruel in its relentlessness as it whisked her life downstream, a life she had to constantly strain to keep from breaking apart.”‘
‘हान कांग’ की रचनाएँ न केवल दक्षिण कोरियाई समाज की गहरी समझ प्रदान करती हैं, बल्कि वे दुनिया भर की रियलिटी को नए लेंस से प्रेजेंट करतीं हैं।
नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने के बाद हान कांग ने कहा, “साहित्य वह दर्पण है जिसमें हम अपने मानव जीवन के असली अर्थ को देख सकते हैं। मेरे लेखन का उद्देश्य भी यही है कि पाठक इस दर्पण में अपनी और समाज की छवियों को देख सकें।”
हान कांग के लेखन में मौजूद मौन, हिंसा और अस्तित्व की खोज ने उन्हें इस पुरस्कार के योग्य बनाया। उनकी रचनाएँ भविष्य के लिए एक धरोहर हैं, जो पाठकों को आत्म-निरीक्षण के लिए प्रेरित करती रहेंगी।