आज 6 नवंबर 2024 है जिस समय मैं ये लेख लिख रहा हूँ तब अमेरिका मे चुनावी घमसान चल रहा है और एक बार फिर सत्ता पलटने की कगार पर है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों की गिनती जारी है। चुनाव जीतने के लिए कुल 538 सीटों में से 270 इलेक्टोरल वोट्स की जरूरत है। रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप आगे चल रहे हैं और उनकी जीत बिल्कुल तय है।
इस समय अमेरिका एक बार फिर राजनीतिक ध्रुवीकरण के दौर से गुजर रहा है, जहाँ डोनाल्ड ट्रम्प का नाम प्रमुखता से उभर रहा है। लेकिन सन् 6 नवंबर यानी आज ही की तारीख को अमेरिका मे ऐसी घटना घटी जो ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। 1860 मे आज अमेरिका के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हुआ जब अब्राहम लिंकन को राष्ट्रपति के रूप में चुना गया। लिंकन एक ऐसे नेता थे जिन्होंने न केवल अमेरिका को विभाजन से बचाया, बल्कि इसे एक नई दिशा दी।
अब्राहम लिंकन को अक्सर अमेरिका के महानतम राष्ट्रपतियों में से एक माना जाता है। उनका राष्ट्रपति बनने का समय एक बेहद चुनौतीपूर्ण समय था, जब अमेरिका गृहयुद्ध की कगार पर था। लिंकन का सबसे महत्वपूर्ण योगदान अमेरिका को एकजुट रखने में था। उन्होंने ‘एम्मांसिपेशन प्रोकेलेमेशन’ जारी करके दास प्रथा का अंत किया, जो अमेरिकी समाज में समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को मजबूती देने वाला कदम था। लिंकन ने न केवल एकता का आह्वान किया, बल्कि वह एक करुणामय नेता थे जिन्होंने मानवता और समाज में सुधार को अपना लक्ष्य बनाया।
उनकी दूरदर्शिता, नेतृत्व और मानवता के प्रति समर्पण ने उन्हें एक ऐसा नेता बना दिया, जो समाज के वंचित तबके की आवाज बने। लिंकन के फैसले केवल तात्कालिक नहीं थे, बल्कि उन्होंने अमेरिका की नींव को लोकतंत्र, स्वतंत्रता और समानता पर स्थापित किया।
वैसे डोनाल्ड ट्रम्प और अब्राहम लिंकन के बीच समानता का एक पहलू उनकी अपार लोकप्रियता है। दोनों ही नेता अपनी-अपनी विचारधाराओं के साथ लोगों के बड़े हिस्से का समर्थन हासिल करने में सफल रहे हैं।
लिंकन और ट्रम्प दोनों ही बाहरी समझे जाते थे — लिंकन को उनके क्षेत्रीय दृष्टिकोण और स्पष्टता के लिए, और ट्रम्प को उनकी व्यापारिक पृष्ठभूमि और असामान्य राजनीति के लिए। दोनों ही नेताओं का चुनाव एक बड़े राजनीतिक विभाजन का प्रतीक रहा है। लिंकन के समय में अमेरिका में गुलामी और स्वतंत्रता का मुद्दा था, जबकि ट्रम्प के युग में आव्रजन, नस्लीय असमानता, और वैश्विक राजनीति के संदर्भ में अमेरिकी पहचान का मुद्दा उठ खड़ा हुआ है।
हालांकि, दोनों के नेतृत्व की शैली में बड़ा अंतर है। लिंकन ने मानवता और समानता की भावना के साथ संघर्ष किया, जबकि ट्रम्प का रवैया अधिक संघर्षपूर्ण और विभाजनकारी रहा है। जहाँ लिंकन ने समाज को जोड़ने और विभाजन को पाटने का काम किया, वहीं ट्रम्प का नेतृत्व शैली अधिक व्यक्तिवादी और ध्रुवीकृत रही है।
आज जब अमेरिका एक बार फिर विभाजन की ओर बढ़ रहा है, लिंकन की विचारधारा और उनके मूल्य अधिक प्रासंगिक हैं। डोनाल्ड ट्रम्प का उदय एक विशेष विचारधारा का प्रतीक है, जो अमेरिका के एक बड़े वर्ग को आकर्षित करती है। लेकिन लिंकन की विरासत यह याद दिलाती है कि एक महान नेता का काम समाज को जोड़ने और मजबूत करना होता है, न कि विभाजन और संघर्ष के जरिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना।
अब्राहम लिंकन और डोनाल्ड ट्रम्प दोनों ने अमेरिकी राजनीति पर अपनी-अपनी छाप छोड़ी है। जहाँ लिंकन को अमेरिका का महानतम नेता माना जाता है, वही ट्रम्प का दौर एक नई विचारधारा और राजनीतिक ध्रुवीकरण का प्रतीक रहेंगे।