हाल ही में G-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे ब्राजील के राष्ट्रपति ‘लूला डा सिल्वा’ ने भारत के पक्ष में बड़ा बयान दिया है। जी-20 सोशल के एक सत्र में उन्होंने भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) का सदस्य बनाए जाने की मांग की। ब्राजीली राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, ग्लोबल साउथ के प्रतिनिधित्व न होने का मुद्दा उठाया और वैश्विक संस्था में बड़े सुधार की आह्वान किया।
ब्राजील के राष्ट्रपति ने ये बयान ऐसे समय में दिया है, जब दुनिया के सबसे प्रभावशाली देशों के नेता जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रियो डी जेनेरियो पहुंचे थे।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र का एक महत्वपूर्ण अंग है, जिसका उद्देश्य वैश्विक शांति और सुरक्षा बनाए रखना है। UNSC का गठन 1945 में हुआ था, और तब से यह अंतर्राष्ट्रीय संकटों से निपटने, युद्धों को रोकने, और शांति स्थापित करने में एक केंद्रीय भूमिका निभा रहा है। UNSC के पास कई शक्तियाँ हैं, जिनमें सैन्य कार्रवाई की स्वीकृति देना, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंध लगाना, शांति अभियानों की स्थापना करना, और अन्य उपायों के द्वारा विश्व शांति को सुनिश्चित करना शामिल है।
UNSC वैश्विक सुरक्षा और शांति के मामलों में प्रभावी निर्णय लेने के लिए एकमात्र अंतरराष्ट्रीय संस्था है। यह दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों की सहभागिता से संचालित होता है, जिससे इसके निर्णयों का वैश्विक प्रभाव होता है। जब कोई बड़ा संकट या युद्ध स्थिति उत्पन्न होती है, तो UNSC ही वह मंच है, जहां अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समाधान के प्रयास होते हैं।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य होते हैं। सबसे पहले आते हैं स्थायी सदस्य। UNSC के पांच स्थायी सदस्य हैं, जो सुरक्षा परिषद के निर्णयों में विशेष अधिकार रखते हैं। ये सदस्य हैं – संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूके। इन पांच स्थायी सदस्य देशों के पास वीटो अधिकार होता है, जिसका मतलब है कि अगर इनमें से कोई भी एक सदस्य किसी प्रस्ताव पर असहमत होता है, तो वह प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो सकता।
फिर आते हैं अस्थायी सदस्य। UNSC में 10 अस्थायी सदस्य होते हैं, जो 2 साल की अवधि के लिए चुने जाते हैं। इन देशों का चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया जाता है और यह सदस्य परिषद के निर्णयों में वोट करते हैं, लेकिन इनके पास वीटो का अधिकार नहीं होता।
अस्थायी सदस्य देशों का चुनाव हर दो साल में होता है, और ये सदस्य क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए चुने जाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि UNSC में विभिन्न क्षेत्रों के देशों का प्रतिनिधित्व हो।
भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अब तक स्थायी सदस्यता नहीं मिली है, और यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे भारत लंबे समय से उठा रहा है। भारत का मानना है कि उसकी भूमिका और स्थिति को देखते हुए उसे UNSC में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए। हालांकि, अब तक इसे स्थायी सदस्यता नहीं दी गई है, और इसके पीछे कई कारण हैं।
भारत के UNSC में स्थायी सदस्य बनने के रास्ते में सबसे बड़ा अवरोध सुरक्षा परिषद के वर्तमान स्थायी सदस्यों का विरोध है। खासकर चीन का विरोध इस मामले में महत्वपूर्ण रहा है। चीन की स्थिति यह रही है कि वह भारत को स्थायी सदस्यता देने के खिलाफ है, क्योंकि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद अभी भी चल रहा है।
UNSC में सुधार की बात करते समय यह भी देखा जाता है कि पुराने और नए सदस्य देशों के बीच गठबंधन और विरोधाभास का सवाल है। संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्य देशों के बीच यह सवाल है कि क्या UNSC में कोई नया स्थायी सदस्य बनाना सही होगा, या फिर यह प्रणाली वर्तमान में बनी रहनी चाहिए। ऐसे में UNSC में सुधार की प्रक्रिया लंबी और जटिल हो गई है।
आज के समय में UNSC का संरचना और निर्णय लेने की प्रक्रिया पुराने समय के अनुसार है, जब इन पांच देशों का वैश्विक प्रभाव बहुत ज्यादा था। लेकिन आज की दुनिया में देशों की भूमिका में बदलाव आया है। भारत जैसे विकासशील देशों की आर्थिक और राजनीतिक ताकत बढ़ी है, लेकिन फिर भी उन्हें सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता नहीं दी जाती है। यह असंतुलन बहुत से देशों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।
भारत ने कई बार अपनी महत्वाकांक्षाओं को स्पष्ट किया है। विशेष रूप से भारत ने आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, और आर्थिक संकटों पर अपनी स्थिति को प्रमुख रूप से रखा है। भारत का मानना है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति और एक प्रमुख उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, जिसे UNSC में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का महत्व इस तथ्य से समझा जा सकता है कि इसके सदस्य द्वारा देशों की संरचना और निर्णय लेने की प्रक्रिया वैश्विक शक्ति समीकरणों का प्रतिबिंब है। भारत का स्थायी सदस्यता न प्राप्त करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे भारत और अन्य देशों के कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से हल किया जा सकता है।
यदि UNSC में सुधार होता है और भारत को स्थायी सदस्यता मिलती है, तो यह न केवल भारत के लिए, बल्कि दुनिया भर के देशों के लिए एक नई उम्मीद और दिशा हो सकती है।