अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के दोषी तहव्वुर हुसैन राणा को भारत प्रत्यर्पित करने का मार्ग प्रशस्त कर दिया है। राणा, जो एक पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी हैं, पर लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के साथ मिलकर मुंबई हमलों की साजिश रचने का आरोप है। वह डेविड कोलमैन हेडली के बचपन के मित्र हैं, जिन्होंने हमलों की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
तहव्वुर राणा का जन्म 12 जनवरी 1961 को पाकिस्तान के चिचावतनी, साहीवाल में हुआ था। उन्होंने पाकिस्तान सेना में एक सैन्य चिकित्सक के रूप में सेवा की और बाद में कनाडा में बस गए, जहां उन्होंने एक आप्रवासन सेवा व्यवसायी के रूप में काम किया। 2009 में, राणा और हेडली को डेनमार्क के अखबार जाइलैंड्स-पोस्टेन पर हमले की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जांच के दौरान, यह पता चला कि राणा ने मुंबई की यात्रा की थी और ताज महल पैलेस होटल में ठहरे थे, जो हमलों के दौरान प्रमुख लक्ष्यों में से एक था।
2011 में, शिकागो में एक संघीय अदालत ने राणा को लश्कर-ए-तैयबा को सामग्री समर्थन प्रदान करने और डेनमार्क में हमले की साजिश रचने का दोषी पाया। हालांकि, उन्हें मुंबई हमलों में सीधे शामिल होने के आरोप से बरी कर दिया गया था। 2013 में, उन्हें 14 साल की सजा सुनाई गई।
भारत सरकार ने राणा की प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध किया था, जिसे अमेरिकी अदालत ने मई 2023 में मंजूरी दी। अब, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद, राणा को भारत लाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है, जहां उन्हें 2008 के मुंबई हमलों में उनकी भूमिका के लिए न्याय का सामना करना पड़ेगा।
डेविड कोलमैन हेडली, जो अमेरिकी और पाकिस्तानी मूल के हैं, ने मुंबई हमलों की योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने हमलों से पहले कई बार मुंबई की यात्रा की और लक्ष्यों की निगरानी की। वर्तमान में, हेडली अमेरिका में 35 साल की सजा काट रहे हैं और उन्हें भारत प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता।
राणा की प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो 2008 के मुंबई हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण बात थी।