By using this site, you agree to the Privacy Policy
Accept
May 28, 2025
The Fourth
  • World
  • India
  • Politics
  • Sports
  • Business
  • Tech
  • Fourth Special
  • Lifestyle
  • Health
  • More
    • Travel
    • Education
    • Science
    • Religion
    • Books
    • Entertainment
    • Food
    • Music
Reading: वही दिन वही दस्तां : नेल्सन मंडेला 33 साल बाद कैद से आज़ाद हुए
Font ResizerAa
The FourthThe Fourth
Search
  • World
  • India
  • Politics
  • Sports
  • Business
  • Tech
  • Fourth Special
  • Lifestyle
  • Health
  • More
    • Travel
    • Education
    • Science
    • Religion
    • Books
    • Entertainment
    • Food
    • Music
Follow US
- The Fourth
Fourth Special

वही दिन वही दस्तां : नेल्सन मंडेला 33 साल बाद कैद से आज़ाद हुए

11 फरवरी 1990, दक्षिण अफ्रीका के इतिहास का एक ऐसा दिन जब इंसाफ़ की लौ फिर से जल उठी।

Last updated: फ़रवरी 11, 2025 6:37 अपराह्न
By Rajneesh 4 महीना पहले
Share
5 Min Read
SHARE

11 फरवरी 1990, दक्षिण अफ्रीका के इतिहास का एक ऐसा दिन जब इंसाफ़ की लौ फिर से जल उठी। ठीक 16:14 बजे, विक्टर वर्स्टर जेल के फाटक खुले और एक दुबला-पतला किंतु दृढ़ निश्चयी व्यक्ति अपनी पत्नी विनी मंडेला का हाथ थामे बाहर निकला। चारों ओर लोगों का हुजूम था, जो उस आदमी की एक झलक पाने के लिए घंटों से तपती धूप में खड़ा था—नेल्सन मंडेला। वह आदमी, जिसने अपने 27 साल सलाखों के पीछे बिताए थे, लेकिन उसकी आत्मा कभी क़ैद नहीं हुई। वह आदमी, जिसे दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने भुला देना चाहा, लेकिन जिसने दुनिया के दिलों में अपनी जगह बना ली।

1918 में दक्षिण अफ्रीका के ईस्टर्न केप में जन्मे मंडेला का असली नाम रोलीहल्हला था, जिसका अर्थ होता है “मुसीबत खड़ी करने वाला।” शायद उनका नाम ही उनकी नियति तय कर चुका था। वे बचपन से ही अन्याय के खिलाफ खड़े होने वाले इंसान थे। जब वे जोहान्सबर्ग पहुंचे, तो रंगभेद की नीतियों ने उनके भीतर एक विद्रोही को जन्म दिया।

अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस (ANC) से जुड़ने के बाद उन्होंने अहिंसक विरोध का रास्ता अपनाया। वे रैलियों का नेतृत्व करते, बहसों में सरकार की रंगभेदी नीतियों की धज्जियां उड़ाते और लोगों को संगठित करने में दिन-रात लगे रहते। लेकिन दक्षिण अफ्रीकी सरकार, जो पूरी तरह से श्वेत अल्पसंख्यकों के हित में चलती थी, उसे यह कैसे स्वीकार होता?

1960 में शार्पविल नरसंहार ने मंडेला की सोच को बदल दिया। 21 मार्च को हजारों अश्वेत नागरिक पास लॉ (Pass Laws) का विरोध कर रहे थे—वे कानून जो उन्हें अपने ही देश में गुलामों की तरह रहने पर मजबूर कर रहे थे। पुलिस ने निर्दयता से गोलियां बरसाईं, 69 लोग मारे गए, सैकड़ों घायल हुए।

मंडेला को अहिंसा की ताकत पर भरोसा था, लेकिन जब अहिंसक विरोध के बदले सरकार निर्दोष लोगों का खून बहाने लगी, तो उन्हें महसूस हुआ कि अब केवल शब्दों से बदलाव नहीं आएगा। 1961 में उन्होंने “उमखोंतो वी सिज़वे” (MK) नामक एक गुप्त संगठन बनाया, जिसने सरकार की बुनियादी संरचनाओं को नुकसान पहुंचाने के लिए सशस्त्र संघर्ष की राह अपनाई। हालांकि उनका उद्देश्य कभी भी निर्दोष लोगों को नुकसान पहुँचाना नहीं था, लेकिन उन्होंने यह तय कर लिया कि सरकार को उनकी क्रूरता की कीमत चुकानी होगी।

1962 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और राजद्रोह के आरोप में पांच साल की सजा सुनाई गई। लेकिन असली झटका 1964 में रिवोनिया ट्रायल के दौरान लगा, जब उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई। वे मौत की सज़ा से बाल-बाल बचे, लेकिन उनका जीवन पूरी तरह से जेल की अंधेरी कोठरियों में कैद कर दिया गया।

मंडेला और उनके साथियों को रॉबेन आइलैंड जेल भेजा गया—एक ऐसी जेल, जहां कैदियों को पत्थर तोड़ने का काम दिया जाता था, सूरज की तपिश में बिना चश्मे के काम करने की वजह से कई कैदियों की आंखों की रोशनी चली गई। लेकिन मंडेला ने हार नहीं मानी। जेल में भी वे पढ़ाई करते, किताबें पढ़ते और अन्य कैदियों को प्रेरित करते।

1980 के दशक में जब दुनिया भर में रंगभेद के खिलाफ आवाज़ बुलंद होने लगी, तब दक्षिण अफ्रीकी सरकार पर दबाव बढ़ता गया। 1985 में सरकार ने मंडेला को रिहाई की पेशकश की, लेकिन शर्त यह थी कि वे हिंसा का रास्ता छोड़ देंगे। उन्होंने साफ़ इनकार कर दिया।

आख़िरकार 11 फरवरी 1990 को, 27 साल बाद, मंडेला आज़ाद हुए। लेकिन यह सिर्फ़ एक व्यक्ति की रिहाई नहीं थी, यह पूरे दक्षिण अफ्रीका के बदलाव की शुरुआत थी।

रिहा होने के बाद मंडेला ने श्वेत सरकार से बातचीत की और 1994 में दक्षिण अफ्रीका का पहला लोकतांत्रिक चुनाव हुआ, जिसमें अश्वेतों को भी वोट देने का अधिकार मिला। 10 मई 1994 को मंडेला देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।

मंडेला का संघर्ष केवल राजनीतिक नहीं था, वह मानवीय गरिमा, समानता और न्याय की लड़ाई थी। उन्होंने दुनिया को यह सिखाया कि कोई भी शक्ति एक न्यायप्रिय इंसान की आत्मा को कैद नहीं कर सकती। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक व्यक्ति भी, अगर अपनी आत्मा की आवाज़ सुने, तो इतिहास बदल सकता है।

You Might Also Like

England दौरे पर नई शुरुआत की ओर भारतीय Test Team!

मनोहर लाल धाकड़ के बाद UP के एक और BJP नेता से जुड़ा विवादित वीडियो आया सामने

महिलाओं के हक में सुप्रीम कोर्ट का शानदार फ़ैसला, “Maternity Leave महिलाओं का Reproductive Right!”

भारत में पहली बार: बिना सुई के AI-Based Blood Test Tool Launch

मिज़ोरम कैसे बना भारत का पहला पूर्ण साक्षर राज्य? भविष्य के लिए क्या योजना है?

TAGGED: 11 february 1990, apartheid struggle, freedom fighter, nelson mandela, south africa, south africa history, thefourth, thefourthindia
Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp LinkedIn
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0

Follow US

Find US on Social Medias

Weekly Newsletter

Subscribe to our newsletter to get our newest articles instantly!

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Loading

Popular News

75634 1698291393 - The Fourth
Sports

हार्दिक की चोट पर रिपोर्ट आयी, शायद ही खेल पाएंगे अगले तीन मुकाबले

2 वर्ष पहले

जबलपुर में रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी परीक्षा लेना भूली !

बाहरी राज्यों के अफसर संभालेंगे इंदौर का चुनाव

स्वास्थ्य समस्याएं जिनका युवा महिलाओं को सामना करना पड़ता है

ठगोरे सुकेश की 12 लक्जरी कारें होंगी नीलाम !

You Might Also Like

WhatsApp Image 2025 05 21 at 2.24.16 PM - The Fourth
World

भारतीय साहित्य के लिए गर्व का पल, बानू मुश्ताक International Booker Prize से हुई सम्मानित

7 दिन पहले
WhatsApp Image 2025 05 19 at 4.59.33 PM - The Fourth
Sports

भारत के एशिया कप से हटने की संभावना, ऐसा हुआ तो पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड हो जायेगा कंगाल!

1 सप्ताह पहले
WhatsApp Image 2025 05 19 at 3.43.29 PM - The Fourth
India

हरियाणा की YouTuber पर पाकिस्तानी Spy होने के आरोप, Narrative Warfare और भारत विरोधी मानसिकता बढ़ा रही थी?

1 सप्ताह पहले
WhatsApp Image 2025 05 17 at 5.18.18 PM - The Fourth
Fourth Special

सम्पूरन जब ‘गुलज़ार’ हुए तो कईयों की जिंदगी भी गुलज़ार हो गई!

2 सप्ताह पहले
The Fourth
  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Careers
  • Entertainment
  • Fashion
  • Health
  • Lifestyle
  • Science
  • Sports

Subscribe to our newsletter

Please enable JavaScript in your browser to complete this form.
Loading
© The Fourth 2024. All Rights Reserved. By PixelDot Studios
  • About Us
  • Contact
  • Privacy Policy
  • Careers
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?