पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामले में भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ़्तार कर लिया गया है। CBI ने भी आज सुबह इसकी पुष्टि कर दी है। 65 वर्षीय चोकसी को शनिवार को बेल्जियम पुलिस ने दो खुली गिरफ्तारी वारंट के आधार पर हिरासत में लिया। फिलहाल वह बेल्जियम की जेल में बंद है और भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में जुट गई है।
यह गिरफ्तारी उस मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ है जिसे स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटालों में से एक माना जाता है। यह मामला सिर्फ पैसों की हेराफेरी का नहीं था, बल्कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम, राजनीतिक कनेक्शन, और वैश्विक स्तर पर भगोड़ों के भागने के तंत्र की पोल खोलने वाला साबित हुआ।
PNB घोटाला – क्या था पूरा मामला?
साल 2018 की शुरुआत में, भारत के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने खुलासा किया कि मुंबई के ब्रैडी हाउस ब्रांच में करीब 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। यह धोखाधड़ी बैंक के ही कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और दो प्रमुख हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की मिलीभगत से की गई थी।
ये धोखाधड़ी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के माध्यम से की गई थी। LoU एक ऐसा डॉक्यूमेंट होता है जिसे बैंक जारी करता है ताकि कोई ग्राहक विदेश में किसी अन्य बैंक से कर्ज ले सके, इस भरोसे पर कि भारतीय बैंक उसकी गारंटी ले रहा है। PNB के कुछ अधिकारियों ने दोनों को LoU बिना कोई गारंटी या मंजूरी के जारी कर दिए और इसी के दम पर चोकसी और नीरव मोदी ने विदेशी बैंकों से भारी भरकम कर्ज उठा लिया। जब यह धोखाधड़ी सामने आई, तब तक दोनों कारोबारी भारत छोड़ चुके थे।
मेहुल चोकसी, नीरव मोदी के मामा हैं, और दोनों ने ही मिलकर एक संगठित तरीके से इस घोटाले को अंजाम दिया था। चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स और नीरव मोदी की फायरस्टार डायमंड कंपनियों का नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ था। चोकसी ने कारोबार को बढ़ाने के लिए लगातार LoU के जरिए पैसा उठाया, जिसे वापस करने का कोई इरादा नहीं था।
चोकसी ने 2017 में भारत छोड़ दिया और बाद में एंटीगुआ और बारबाडोस की नागरिकता ले ली। इसके बाद भारत सरकार ने उसे भगोड़ा और आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया। उसके खिलाफ ED, CBI और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कार्रवाई की।
वहीं नीरव मोदी को 2019 में लंदन में गिरफ्तार किया गया और वो अब तक ब्रिटेन की जेल में बंद है। उसका प्रत्यर्पण अभी तक नहीं हो पाया है।
बेल्जियम की पुलिस ने शनिवार को मेहुल चोकसी को गिरफ्तार किया। CBI सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने मुंबई की अदालत द्वारा जारी दो ओपन-एंडेड वारंट्स का हवाला दिया। ये वारंट 23 मई 2018 और 15 जून 2021 को जारी किए गए थे।
यह गिरफ्तारी इंटरपोल की नोटिस और भारत सरकार के सतत प्रयासों का नतीजा मानी जा रही है। भारत सरकार अब बेल्जियम से उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में तेजी लाने की तैयारी कर रही है।
मेहुल की गिरफ्तारी के बावजूद, भारत के सामने कई कानूनी चुनौतियाँ खड़ी हैं जैसे – चोकसी अक्सर अपनी सेहत,मानवाधिकार और नागरिकता जैसे कारणों से प्रत्यर्पण को चुनौती देता रहा है। पहले भी उसने दावा किया था कि उसे जबरन एंटीगुआ से डोमिनिका ले जाया गया और किडनैपिंग के बहाने भारत लाने की कोशिश की गई। इस बार भी बेल्जियम की अदालत में चोकसी प्रत्यर्पण को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ सकता है, जिससे प्रक्रिया लंबी खिंच सकती है।
अगर मेहुल चोकसी का प्रत्यर्पण सफल होता है, तो यह भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत होगी। यह उन सैकड़ों पीड़ितों के लिए भी आशा की किरण हो सकती है, जिनका पैसा इस धोखाधड़ी में फंसा है।
इस घोटाले ने यह भी दिखाया कि किस तरह भारत के प्रभावशाली कारोबारी, राजनीतिक और प्रशासनिक सिस्टम की कमजोरी का फायदा उठाकर न सिर्फ अरबों की लूट करते हैं, बल्कि विदेश भागकर कानून से भी बच निकलते हैं।