मिज़ोरम ने एक ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया है, जो पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है। 20 मई 2025 को मिज़ोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने ऐलान किया कि मिज़ोरम अब ‘पूर्ण साक्षर राज्य’ बन चुका है। यह घोषणा मिज़ोरम यूनिवर्सिटी, आइज़ोल में की गई, जहां केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी भी विशेष रूप से मौजूद थे।
यह उपलब्धि केवल एक आंकड़ा नहीं, बल्कि वर्षों की मेहनत, योजना और समाज के हर वर्ग की भागीदारी का परिणाम है। मिज़ोरम ने “ULLAS” (Understanding of Lifelong Learning for All in Society) पहल के तहत यह ऐतिहासिक सफलता हासिल की है, जो भारत सरकार की New India Literacy Programme (NILP) का हिस्सा है।
ULLAS यानी “समाज के लिए आजीवन शिक्षा की समझ, “एक ऐसी पहल है जिसका उद्देश्य adults में Literacy और lifetime learning को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत न केवल पढ़ने-लिखने की शिक्षा दी जाती है, बल्कि डिजिटल लर्निंग, economical knowledge और Life skills जैसे dimensions पर भी जोर दिया जाता है।
NILP के तहत केंद्र और राज्य मिलकर उन वयस्क नागरिकों की पहचान करते हैं जो अब तक साक्षर नहीं हो पाए हैं, और उन्हें एक स्वैच्छिक लेकिन संरचित रूप से शिक्षित करने का प्रयास करते हैं।
मिज़ोरम ने कैसे रचा ये इतिहास?
मुख्यमंत्री लालदुहोमा की सरकार ने शिक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रखा। नीति-निर्माण से लेकर ज़मीनी स्तर पर, राज्य सरकार ने हर स्तर पर अच्छे प्रयास किए।
NILP के अंतर्गत मिज़ोरम ने राज्य भर में सर्वे किया और 3,026 अनपढ़ो की पहचान की। इसमें मुख्य रूप से बुज़ुर्ग, ग्रामीण समुदायों के लोग और कुछ झुग्गी इलाकों के निवासी शामिल थे।
इनमें से 1,692 लोग स्वेच्छा से सीखने के लिए आगे आए। यह आंकड़ा इस बात को दर्शाता है कि समाज में शिक्षा को लेकर जागरूकता और उत्साह कितना गहरा है।
शिक्षा की इस क्रांति में 292 स्वयंसेवी शिक्षकों ने अहम भूमिका निभाई। ये शिक्षक समाज के विभिन्न तबकों से आए…स्कूलों के छात्र, शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षण संस्थानों के संसाधन विशेषज्ञ।
इन्होंने न केवल अक्षर ज्ञान कराया, बल्कि सीखने को आनंददायक और व्यावहारिक बनाया। इनमें से कई शिक्षक सप्ताह में 4-5 दिन गांव-गांव जाकर classes लिया करते थे।
2011 की जनगणना में मिज़ोरम की साक्षरता दर थी: 91.33% जो 2025 में NILP के अंतर्गत बढ़कर 98.2% हो गई। केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित पूर्ण साक्षरता की परिभाषा में 95% को पूर्ण साक्षर माना जाता है, जिसे मिज़ोरम ने पार कर लिया है।
मिज़ोरम ने खुद के भविष्य की योजना भी बनाई है। राज्य सरकार का अगला कदम है ‘डिजिटल शिक्षा’ को अंतिम व्यक्ति तक पहुँचाना। इसके लिए स्कूलों के साथ-साथ सामुदायिक केंद्रों को डिजिटल शिक्षा हब के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके अलावा मिज़ोरम सरकार ULLAS के माध्यम से एक Lifelong Learning Ecosystem तैयार कर रही है, जहाँ हर उम्र के व्यक्ति के लिए शिक्षा के द्वार खुले रहें, चाहे वो खेती से संबंधित ज्ञान हो, economics, मेडिकल या linguistics।
राज्य में हर गांव और वार्ड स्तर पर स्थानीय शिक्षा समितियां गठित की जा रही हैं जो निरंतर निगरानी और नए शिक्षार्थियों की पहचान करती रहेंगी।
मिज़ोरम अब अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों और भारत के पिछड़े क्षेत्रों के लिए एक inspirational model बनेगा। इसके लिए राज्य सरकार अपने अनुभव और blueprint शेयर करने को तैयार है।
मिज़ोरम ने यह साबित कर दिया कि राजनीतिक इच्छाशक्ति, प्रशासनिक समर्पण और समाज की सामूहिक चेतना के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। यह केवल मिज़ोरम की जीत नहीं, बल्कि एक शिक्षित भारत के सपने की ओर एक बड़ा और ठोस कदम है।