मुंबई। एनसीपी के मुखिया शरद पवार को राजनीति का पक्का खिलाड़ी माना जाता है, लेकिन पार्टी के स्थापना दिवस पर लिया गया उनका फैसला कई सवाल खड़े कर रहा है। उन्होंने बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है। भतीजे अजीत पवार के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया ? फिलहाल समझ के परे है। पवार का ये फेसला एनसीपी को भारी भी पड़ सकता है। अजीत भी पार्टी में दम रखते हैं, अगर उन्होंने विरोध का मोर्चा उठा लिया तो एनसीपी बिखर सकती है। अटकलें ये भी लगाई जा रही है कि अजीत की भाजपा से बढ़ती नजदीकियां शरद पवार को पसंद नहीं आई है। इसीलिए उन्हें प्रमोशन नहीं दिया गया है।
पवार ने कही अहम बातें
एनसीपी के 25 वें स्थापना दिवस के कार्यक्रम में शरद पवार ने कहा कि पार्टी को मजबूत करने के लिए हम सब लोगों को काम करना पड़ेगा। प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले को वर्किंग कमेटी का प्रसिद्ध बनाने का फैसला किया जा रहा है । सुप्रिया को हरियाणा और पंजाब की जिम्मेदारी दी गई है । सभी विपक्षी पार्टियों के साथ आना होगा। मुझे यकीन है इस देश की जनता हमारी मदद करेगी। 23 तारीख को हम सब बिहार में मिलेंगे और चर्चा करेंगे। एनसीपी भी जल्द ही भारत भ्रमण जैसी यात्रा निकालने वाली है। दूसरी तरफ प्रफुल पटेल को मध्य प्रदेश, राजस्थान और गोवा की जिम्मेदारी दी गई है। इन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में एनसीपी असर डालने की कोशिश करेगी।
इस मास्टर स्ट्रोक के भी आसार
अलग-अलग अटकलों में से एक यह भी है कि शरद पवार ने भतीजे अजीत को जो सब्र करवाया है, उसका फल मीठा देने वाले हैं। कुछ दिनों बाद खुद एनसीपी अध्यक्ष का पद छोड़कर अजीत को कुर्सी सौंप देंगे। माना जाता है कि जब अजित पवार के पिता अनंत राव पवार का निधन हुआ था शरद ने अपने बड़े भाई से वादा किया था कि मैं भतीजे को उसका असली हक, सही समय आने पर दूंगा। अब माना जा रहा है कि शरद पवार अपनी गद्दी ,अजीत को जल्द सोने वाले हैं ।इसी कड़ी में उन्होंने सुप्रिया और पार्टी के दूसरे अहम नेता प्रफुल्ल पटेल को पहले ही सेट कर दिया है।