सिरपुर तालाब नाम का रामसर साइट
इंदौर शहर के सिरपुर तालाब को मिले रामसर साइट का तगमा आज ‘राम भरोसे’ हो गया है।
दरअसल नगर निगम द्वारा पिछले कई सालों से तालाब पर कोई भी काम नहीं किया गया है, यहां तक की परिसर के अंदर की बाउंड्री भी टूटी पड़ी है, ना तो जैव-विविधता के संरक्षण को लेकर निगम ने कोई ठोस कदम उठाए है और ना ही तालाब के संरक्षण को लेकर। तालाब की सबसे बड़ी समस्या है की उसके 75 प्रतिशत हिस्से में जलकुंभी फैली हुई है। आज शहर की ऐतिहासिक जल धरोहर को बड़े स्तर पर संरक्षण की दरकार है। वहीं छोटे सिरपुर तालाब का भी अस्तित्व खतरे में है। वो तो पूरा जलकुंभी से भरा पड़ा है। जिसे लेकर निगम तो आंखे मूंदे बैठी है, जबकी जलकुंभी हटाने के लिए जारी किए गए निगम के टेंडर में पिछले तीन चार सालों में 50 लाख से ज्यादा राशि का भुगतान किया गया है। फिर भी कोई अंतर नहीं दिख रहा है।
इस साल रामसर साइट की इन अव्यवस्थाओं के चलते प्रवासी पक्षियों ने भी अपना ठिकाना बदल लिया है। दिसंबर में जहां बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का डेरा रहता था, तालाब में पानी की जगह जलकुंभी होने से पक्षी कम ही नजर आ रहे हैं। जिसके कारण अब सिरपुर तालाब में रामसर साइट जैसा कुछ नहीं हैं। तालाब में लोग मछलियां पकड़ रहे हैं। यहां हमेशा असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। इसके अलावा कोई काम जैव-विविधता को लेकर नहीं हुए है। शायद यही कारण है की प्रवासी भारतीयों को भी नहीं दिखाई गई थी रामसर साइट, क्यूंकी सिरपुर तालाब की अव्यवस्था देख वो भी चौक जाते।