आम आदमी पार्टी सांसद राघव चड्ढा को संसद से निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही पूर्व निलंबित आप सांसद संजय सिंह के निलंबन की अवधि भी बढ़ा दी गई है। दोनों सांसदों को विशेषाधिकार समिति की जांच रिपोर्ट आने तक संसद सत्र में आने की अनुमति नहीं है। राघव चड्ढा पर कई सांसदों ने प्रस्ताव पर नकली हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया था। ये बात 7 अगस्त की है जिस दिन “दिल्ली सेवा बिल” पास कराया जाना था। इसी पर राघव चड्ढा ने इस बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग रखी थी और साथ ही इसके समर्थन में अन्य सांसदों के नाम दिए। इनमें से 5 सांसदों का कहना है कि राघव ने बिना उनके सहमती के उनके नाम समर्थन सूची में डाले, साथ ही उनके हस्ताक्षर भी कर दिए जिसके कारण राघव पर ये कार्यवाई की गई है। पांच सांसदों में 3 बीजेपी, 1 बीजेडी और 1 सांसद एआईएडीएमके के हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने इस मुद्दे को संसद में उठाया और जनता से मांग की जिसके बाद राघव चड्ढा को विशेषाधिकार समिति की ओर से नोटिस भेजा गया। अपनी सफ़ाई में राघव ने कहा कि उनके ऊपर लगाए हुए समस्त आरोप बेबुनियाद और झूठे हैं। उनकी दी हुई सूची में हस्ताक्षर नहीं थे, उन्होंने सिर्फ नाम दिए थे, जिसका अधिकार उनके पास था। उन्होंने कहा कि बीजेपी नहीं चाहती कि कोई उनसे सवाल करे। वे नहीं चाहते कि कोई उन्हें आईना दिखाए। वे नहीं चाहते कि कोई उनका विरोध करे। यही कारण है कि वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने और उनका विरोध करने वालों को रोकने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।
यह इस मानसून सत्र में आम आदमी पार्टी का तीसरा निलंबन है। इससे पहले दो अन्य सांसद संजय सिंह और सुशील कुमार रिंकू को अमर्यादित व्यवहार के चलते इस सत्र से निलंबित किया गया था।इस पर कल सुशील कुमार रिंकू अपने निलंबन के विरोध में खुद को जंजीरों में जकड़कर संसद के बाहरी परिसर में पहुंचे। अब देखना यह है कि विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट में क्या सच सामने आता है।