एक स्टडी में सामने आया है कि प्रदूषण जितना बाहर होता है उतना ही आपके घरों में भी होता है, जो कि सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है। IIT के मुताबिक, इस तकनीक में एक्टिव आयन 25 सेकंड से ज्यादा समय तक एक्टिव रहते हैं ताकि लंबे समय तक जीवित रहने वाले रोगाणुओं को प्रभावी रूप से निष्क्रिय किया जा सके। घर के वातावरण में एयर के आने वाले वायरस के संक्रमण के जोखिमों को कम करने के लिए ही IIT Jodhpur के डॉ. राम प्रकाश, प्रोफेसर, डॉ. अंबेश दीक्षित, प्रोफेसर, रामावतार जांगड़ा, शोध छात्र किरण आहलावत, शोध छात्र, भौतिकी विभाग द्वारा यह नॉवेल कोल्ड-प्लाज्मा डिटर्जेंट इन एनवायरनमेंट ‘कोड’ डिवाइस विकसित की गई है। जिसके परिणाम हाल ही में 25 जून 2023 को नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।
कैसे काम करती है ये डिवाइस?
यह नॉवेल कोड डिवाइस प्रकृति के सामान वातावरण में ठंडे प्लाज्मा डिटर्जेंट आयनों के साथ पॉजिटिव आयनों की डीसेंट अमाउंट यील्ड कर रहा है। इन्डोर एयर की क्वालिटी के संबंध में IIT’ के नॉवेल कोड टेक्नोलॉजी के प्रमुख फायदा ये है कि यह पर्यावरण में कोल्ड प्लाज्मा डिटर्जेंट उत्पन्न करती है, जिसमें जरूरी मात्रा में विशिष्ट आयन होते हैं।
कोविड-19 के दौरान हुआ था काम शुरू
इस शोध के महत्व के बारे में बात करते हुए प्रोफेसर राम प्रकाश ने कहा, “हमने कोविड-19 महामारी के दौरान घर के वातावरण को शुद्ध करने के लिए इस पर काम करना शुरू किया था और तीन साल की मेहनत के बाद हमने नॉवेल कोड प्रौद्योगिकी पर आधारित इंडोर एयर स्टेरिलाइजर्स तैयार किए हैं, जो जल्द ही वाणिज्यिक उपयोग के लिए बाजार में उपलब्ध होंगे। IIT के मुताबिक, यह तकनीकी गुणवत्ता से भरपूर एक शुद्ध वातावरण प्रदान कर सकती है। इस प्रौद्योगिकी पर आधारित प्रणालियों को सभी सार्वजनिक और स्वास्थ्य सुविधाओं में स्थानीय प्रणाली के रूप में या डक्ट, एसी, कूलर आदि के साथ एकीकृत किया जा सकता है।
इस कोड डिवाइस के कई लाभ
इस कोड डिवाइस के कई लाभ हैं और यह अस्पतालों में संक्रमण को कम करने के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा साथ ही इसका उपयोग घर में और सार्वजनिक स्थानों में भी हो सकता है। ‘’प्रोफेसर अंबेश दीक्षित ने कहा, “मुझे इस परियोजना में भाग लेकर अत्यंत खुशी हो रही है और मैं सामान्य जनता के लिए इसके सफल उपयोग को देखना चाहता हूं।