हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में हर साल कई फिल्में बनती हैं। इन फिल्मों में कई ऐसे नाम भी शामिल होते हैं जिनकी कहानियां जबरदस्त होती हैं लेकिन उन्हें उतना एप्रीसिएट नहीं किया जाता जितना वो डिसर्व करती थी हम ऐसी ही पांच अंडररेटेड फिल्मों की दूसरी किस्त के बारे में बात कर रहे हैं। इस लिस्ट मे ऐसे फिल्म निर्माता की फ़िल्में हैं जो अपने कम्फर्ट जोन से बाहर निकल कर कुछ अनोखा करते हैं लेकिन ये फिल्में दर्शकों द्वारा नहीं देखी जाती है। आइए जानते है उन फ़िल्मों के बारे में।
- द ब्लू अम्ब्रेला
यह रस्किन बॉन्ड की 1980 की इसी नाम की किताब का फिल्म रूपांतरण है। हिमाचल प्रदेश के एक सुरम्य गांव की पृष्ठभूमि के साथ, यह फिल्म एक नीले तेल-कागज वाली जापानी छतरी, पूरे गांव का इसके प्रति आकर्षण और इसे अपने पास रखने की हर किसी की अघोषित इच्छा के इर्द-गिर्द घूमती है। ख़ूबसूरती से कहें तो फिर भी उतनी मुख्यधारा नहीं, द ब्लू अम्ब्रेला निश्चित रूप से अब तक की सबसे कम रेटिंग वाली बॉलीवुड फिल्मों में से एक है।
- द जापानी वाइफ
यह एक रोमांटिक फिल्म राहुल बोस द्वारा अभिनीत एक गाँव के स्कूल-शिक्षक की कहानी बताती है, जो अपने जापानी पत्र मित्र, चिगुसा ताकाकू द्वारा अभिनीत, के साथ विवाह की एक प्रतिज्ञा करता है और वास्तव में उससे कभी नहीं मिलने के बावजूद उसके प्रति वफादार रहता है। सामान्य हिन्दी ये प्रेम कहानी कुछ हटकर विषय को टटोलती है, यही वजह है कि ये हमारी अंडररेटेड फिल्मों की लिस्ट मे शामिल है ।
- ब्लैकमेल
यह एक ब्लैक कॉमेडी फिल्म है जिसमें मुख्य कलाकार इरफान खान, कीर्ति कुल्हारी, अरुणोदय सिंह और दिव्या दत्ता हैं। फिल्म में 30 साल के एक विवाहित व्यक्ति के पूरे दिन की नौकरी में फंसे जीवन को दर्शाया गया है। फिल्म की कहानी मे एक हस बैंड की कहानी दिखाई है जब उसे पता चला कि उसकी पत्नी का किसी और के साथ अफेयर चल रहा है। इस फिल्म की IMDb रेटिंग 7.1 है और यह ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर उपलब्ध है। इस फिल्म को जितनी तवज्जो मिलनी चाहिए थी उतनी नही मिली।
- चीनी कम
आर बाल्की की फिल्म ‘चीनी कम’ दो प्रेमियों की कहानी है। समस्या है तो दूल्हा और दुल्हन के उम्र के बीच के अंतर की। दोनों को इस पर कोई ऐतराज नहीं हैं, लेकिन दुल्हन के पिता को है।‘नि:शब्द’ में भी उम्र के अंतर को दिखाया गया था। लेकिन जहाँ ‘नि:शब्द’ गंभीर किस्म की फिल्म थी, वहीं ‘चीनी कम’ हल्की-फुल्की फिल्म है। इसमें उम्र के अंतर के साथ स्वभाव के अंतर को भी दर्शाया गया है। ये फिल्म गैर परंपरावादी विषयो मे से एक थी इसीलिए इसे जितना पसंद किया जाना चाहिए था उतना नहीं किया गया।
- मातृभूमि : ए नेशन विदाउट वीमेन
जैसा कि इस फिल्म के टाइटल से ही पता चलता है, एक ऐसी फिल्म है जो एक ऐसे भविष्य को दर्शाती है जहां गर्भपात और लिंग असंतुलन के परिणामस्वरूप समाज में कोई महिला नहीं है। मनीष झा द्वारा लिखित यह एक ट्रेजेडी फिल्म है। फिल्म कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित है। इसमें दिखाया गया है कि कन्या भ्रूण हत्या के बाद कैसे समाज का संतुलन बिगड़ गया। फिल्म में बिहार के गांव को दिखाया गया है। एक गांव का दंपति, जिसकी पत्नी की डिलीवरी होनी है और वे बेटे की उम्मीद कर रहे हैं। निराश परिवार बच्ची को पैदा होते ही बाल्टी में डुबो देता है। कई साल बाद यहां लड़कियों की कमी हो जाती है। गांव में बस वृद्ध महिलाएं बचती हैं। आक्रामक युवक शादी करना चाहते हैं। उन्हें किसी भी कीमत पर पत्नी चाहिए, इसके लिए मानव तस्करी तक के लिए तैयार हैं।