भारत की सफलता से पड़ोसी देश चीन चिढ़ गया है। जिस चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर दुनियाभर से बधाई मिल रही थी। नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसियों ने चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंडिंग के लिए इसरो के वैज्ञानिकों की सराहना की है। सफलता भी बड़ी थी, क्योंकि साउथ पोल पर पहुंचने पर भारत पहला देश है। लेकिन चीन के टॉप साइंटिस्ट ने भारत की सफलता पर विवादित दावा किया। उसने कहा कि भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतरा था। फिलहाल वैज्ञानिकों को अपने ही घर में धूल खानी पड़ी। उसे चीन के हांगकांग यूनिवर्सिटी के स्पेस रीयर्स लेब्रोरेटरी ने करारा जवाब दिया और उनके दावे को खारिज कर दिया। लेब्रोरेटरी के वैज्ञानिक क्वेंटिन पार्कर ने कहा कि जिस वक्त आप दक्षिणी ध्रुव के नजदीक अपना लैंडर उतारते हैं, जिसे दक्षिणी ध्रुव माना गया है। वह अपने आप में ही बड़ी उपलब्धि है।
चीनी वैज्ञानिकों ने और क्या दावे किए?
दरअसल,चीनी विज्ञान एकेडमी के सदस्य और कॉस्मोकेमिस्ट ओयांग जियुआन चीन के पहले मून मिशन के मेन साइंटिस्ट थे। उन्होंने कहा कि भारत का अंतरिक्ष यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर या उसके आसपास नहीं उतरा। न ही चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में लैंड हुआ है और न ही यह अंटार्कटिक ध्रुवीय क्षेत्र के पास उतरा। उन्होंने यह दावे अपने आधिकारिक साइंस टाइम्स अखबार में की है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की अलग-अलग धारणाएं?
पृथ्वी पर दक्षिणी ध्रुव को 66.5 और 90 डिग्री दक्षिण के बीच कहीं भी परिभाषित किया गया है, क्योंकि इसकी घूर्णन धुरी सूर्य के सापेक्ष लगभग 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है। ओयांग का तर्क है कि चूंकि चंद्रमा का झुकाव केवल 1.5 डिग्री था, ध्रुवीय क्षेत्र बहुत छोटा था। नासा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को 80 से 90 डिग्री मानता है, जबकि ओयांग ने कहा कि वह इसे 88.5 से 90 डिग्री पर और भी छोटा मानता है, जो चंद्रमा के 1.5 डिग्री झुकाव को दर्शाता है।
14 जुलाई को भारत ने किया था लॉन्च
दरअसल, 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया था। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड किया था। जहां 14 दिन रिसर्च करने के बाद दो हफ्तों के लिए लैंडर और रोवर को स्लीप मोड में डाला गया। इसरो के वैज्ञानिक अब उसे फिर से जीवित करने का प्रयास कर रहे हैं।
भारत की बड़ी उपलब्धि
हांगकांग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ली मैन होई ने कहा कि, भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा पर उससे पहले लैंड कराए गए। सभी लैंडरों से आगे बढ़कर चांद के सबसे दक्षिणी अक्षांश पर पहुंचा है। उन्होंने कहा कि यह ‘उच्च अक्षांश स्थान’ कहा जा सकता है। ली ने 2019 के चीन के मून मिशन को लेकर कहा, ‘हम तुलना करें तो, चीन का मिशन Change 4 चांद के सुदूर इलाके दक्षिणी ध्रुव एटकेन बेसिन नामक क्षेत्र में उतरा था। नाम से आपको लगेगा कि चीन की मिशन दक्षिणी ध्रुव के करीब उतरा, लेकिन ऐसा नहीं है। चीनी मून मिशन 45.44 डिग्री दक्षिण अक्षांश पर उतरा था।’