The Canadian encyclopedia के आंकड़ों के अनुसार भारत या भारतीय मूल के लोगों का कनाडा में immigration 1903-04 में शुरू हुआ। 1911 की जनगणना के रिकॉर्ड में कुल 1758 हिंदुओं और सिखों को एक साथ सूचीबद्ध किया गया था। दशक दर दशक इसमे इजाफा होता गया और कनाडा की धरती सिखों और हिन्दुओ को बड़ी राश आने लगी। वहां वे बिजनेस, एजुकेशन के लिये बड़ी संख्या मे जाने लगे। लेकिन धीरे धीरे खालिस्तान नाम के बंटवारे वाली मानसिकता वाली ज़हरीली हवा से कनाडा के लोगों मे ये जहर घुलने लगा और हिंदू की दुर्दशा का आरंभ हुआ। मंदिर तोड़े गए, दुकाने तोड़ी गई महिलाओं और बच्चों के साथ बदसलूकी शुरू हुयी। फिलहाल आलम ये है कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से भारत और कनाडा के बीच तनाव जारी है। भारत और कनाडा के जियो-पोलिटिकल विवाद का हिंदू-कनाडाई समुदाय पर तत्काल और गहरा प्रभाव पड़ा। इसने इस छोटे से धार्मिक अल्पसंख्यक यानी हिन्दुओं के खिलाफ घृणित हमलों की एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति को बढ़ा दिया। जबकि पिछले दो वर्षों में हिंदू विरोधी गतिविधियां बढ़ रही हैं, सबसे हालिया हमला अमेरिका स्थित अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस की ओर से किया गया था। संगठन ने एक वीडियो जारी किया जिसमें “भारत-हिंदुओं” से “कनाडा छोड़ने” के लिए कहा गया है; भारत में जाओ” इस वीडियो का नारा था। लेकिन, जो बात जले पर नमक छिड़कती है वह यह है: इस घृणित वीडियो के वायरल होने के कुछ दिनों बाद, कनाडाई नेता, मानवाधिकार समूह और अन्य नागरिक समाज संगठन निंदा के कुछ न्यूनतम शब्दों को छोड़कर काफी हद तक चुप थे।
सार्वजनिक हिंदू प्रतीक खतरे में हैं। महात्मा गांधी की मूर्तियों पर नियमित रूप से हमला किया जाता है। यहां तक कि पर्यावरण कनाडा द्वारा दिवाली को “वायु प्रदूषण का कारण” बताया जाता है। लेकिन वही संस्था ने कभी भी विक्टोरिया दिवस/कनाडा दिवस या नए साल की पूर्वसंध्या के लिए ऐसी घोषणा नहीं की होगी ।
कई हिंदू, विशेष रूप से युवा परिवारों वाले लोग धार्मिक समारोहों में भाग लेने या त्योहार मनाने से पहले दो बार सोचते हैं ये डर वास्तविक जीवन में हिंदू समुदाय द्वारा झेले गए उत्पीड़न को दर्शाता हैं।
2021 में, मिसिसॉगा पार्क में एक धार्मिक समारोह करते समय दो किशोरों ने एक युवा परिवार पर घृणित टिप्पणी करते हुए हमला किया था। पिछले महीने, 68 वर्षीय दिलीप कुमार ढोलानी को अपनी पोती के साथ सैर के दौरान दिनदहाड़े 17 बार चाकू मारा दिया गया था। पुलिस ने इसे ‘आकस्मिक’ हमला बताया।
पिछले साल एक और भयावह घटना में, भारत के एक 21 वर्षीय विश्वविद्यालय छात्र का अपहरण कर लिया गया, उसे निर्वस्त्र कर दिया गया, चेहरे पर कई बार लात मारी गई और कहा गया कि “तुम यहाँ के नहीं हो”। फिर भी, पुलिस ने तब कहा था कि हमला नस्लीय रूप से प्रेरित नहीं था।
राजनीतिक तनातनी के कारण लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों से कनाडा में हिंदू होना कैसा महसूस हो रहा है सुनिए लोगों की लोगों की आपबीती।
कनाडा स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर की प्रबंधन समिति के सदस्य पुरषोत्तम गोयल ने “कनाडा के फ्रेजर में 20 गुरुद्वारे हैं। इसमें से केवल 2 खालिस्तानी समर्थकों के कब्ज़े में हैं। लेकिन बाकी लोग भी उनके खिलाफ बोलने में डरते हैं। खालिस्तान को ISI फंडिंग देता है। उन्हें AK-47 मिल रही हैं। वे इससे अराजकता और डर का माहौल पैदा कर रहे हैं। “
वहीं कनाडा के एक हिंदू परिवार ने कहा, “खालिस्तानी यहां खुलेआम तलवारें लेकर घूमते हैं। पोस्टर लगाते हैं। लेकिन ट्रूडो सरकार ये सब करने दे रही है। खालिस्तान के समर्थकों को बहुत पैसा मिल रहा है। ट्रूडो सरकार भले ही उन पर कार्रवाई करने की बात कहती है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती है। ऐसे में कोई शरीफ आदमी सामने आकर बोलना तक नहीं चाहता।”
सरे में ही टैक्सी चलाने वाले रोहित शर्मा कहते हैं कि “कुछ लोग पूरे समुदाय की छवि खराब कर रहे हैं। हम मंदिर और गुरुद्वारे दोनों में जाते हैं। केवल 5% लोग ऐसा कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सिख समुदाय के वोट लेने के लिए संसद में भारत के खिलाफ ऐसा बयान दिया। लोग डरे हुए हैं। खालिस्तानी हमारे कार्यक्रमों में आकर धमकते हैं। नारेबाजी करते हैं। वे कुछ लोगों से चंदा लेते हैं और आराम की ज़िंदगी जीते हैं।”
डर,खौफ और Canadian सरकार की निष्क्रियता के ये मात्र वो चुनिंदा किस्से हैं जो अभी सामने आये है। हर हिन्दु परिवार के कुछ किस्से है। अब ये सब कब और कहां जा कर रुकेगा पता नहीं।