जाको राखे साइयां मार सके ना कोय अर्थात जिसकी रक्षा स्वयं ईश्वर करते हैं उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। यह कहावत तो अपने जरूर सनी ही होगी। हाल ही में गुजरात में एक घटना घटी है जिसे आप इसका एक सटीक उदाहरण कह सकते है। दरअसल गुजरात के डुमास बीच पर परिवार के साथ घूमने गया 14 वर्षीय लखन नहाते समय समंदर की तेज लहरो में बह गया था। पुलिस प्रशासन, गोताखोर और फायर ब्रिगेड ने उसकी खूब खोज की लेकिन उसका पता नही लगा पाए। परिवार वाले उसे मरा समझकर घर लौट आए। लेकिन 36 घंटे बाद नवसारी से उसके जिंदा होने की खबर सामने आई। लखन गणेश जी की प्रतिमा के सहारे तैरता रहा और नवसारी में बीच समुद्र में मछुआरों को मिला। अपने बच्चे को जीवित देख परिवार जनों की आंखों में खुशी के आंसू आ गए ।
भाई करन भी साथ में बह गया था
लखन 29 सितंबर को अपने भाई करन,बहन अंजलि और दादी के साथ अंबाजी मंदिर में दर्शन करने आया था। दर्शन के बाद बच्चे समुद्र तट पर जाने की जिद करके दादी संग डुमास बीच पर आ गए थे। जहां नहाने के दौरान समुद्र की लहरें तेज हो गई और लखन और उसका भाई करन दोनों तेज लहरों के साथ बह गए। इस दौरान आसपास खड़े लोगों ने करन हो तो बचा लिया लेकिन लखन के लहरों के साथ चला गया। इसके बाद लखन की खूब खोज की गई लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला।
गणेश प्रतिमा बनी सहारा
तेज़ लहरों के साथ समुद्र में बहने के बाद लखन को गणेश प्रतिमा के अवशेष मिले जिसके सहारे वह समुद्र तल पर तैरता रहा और बहते-बहते गुजरात के नवसारी जिले में पहुंच गया। इस दौरान समुद्र के बीचों बीच मछली पकड़ने गए मछुआरों की नजर उस पर पड़ी। जो उसे नाव में बिठाकर किनारे पर ले आए
और पुलिस को सूचना दी। लखन की हालत बदहवास थी मछुआरो की सूचना पर रेस्क्यू और मेडिकल टीम भी उसके पास पहुंची और प्राथमिक इलाज के बाद उसे हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया।
परिवार को नहीं थी जिंदा होने की उम्मीद
लखन के परिवार वालों ने उसके जिंदा होने की उम्मीदें खो दी थी। उसके पिता का कहना है कि अम्बा माता की कृपा से उनका बेटा बच सका है। हम अपने बेटे को मरा हुआ मानकर उसका शव लेने आए थे, लेकिन उसकी जान बच गई।