कल से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है। शारदीय नवरात्रि का महापर्व आश्विन माह में मनाया जाता है। इस में पूरे 9 दिनों तक दुर्गा मां के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस साल देवी दुर्गा का वाहन हाथी है। शास्त्रों की मान्यता है कि नवरात्रि में जब देवी हाथी पर सवार होकर आती हैं, तब ज्यादा बारिश के योग बनते हैं। नवरात्रि में माता की सवारी का विशेष महत्व होता है हिन्दू धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व माना जाता है। अपको बता दे की नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘नौ रातें’। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान,शक्ति की देवी मां जगदंबा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवें दिन दशहरा के मनाया जाता है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आती है लेकिन बड़े पैमाने पर सिर्फ 2 नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि ही मनाई जाती है। नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
किसी भी कार्य को हमेशा कलश स्थापना कर के शुरू किया जाता है। कल से शारदीय नवरात्रि की भी शुरुआत हो रही है जिसका आरंभ कलश स्थापना के साथ किया जाएगा है। जिसका का शुभ मुहूर्त 14 अक्टूबर दिन शनिवार को रात 11 बजकर 24 मिनट से लेकर 16 अक्टूबर, दिन सोमवार को रात 12 बजकर 3 मिनट तक स्थापना की जा सकती है। वहीं, शारदीय नवरात्रि तिथि का समापन 24 अक्टूबर, दिन मंगलवार को होगा।
नौ दिनों में मां के नौ रूप
15 अक्टूबर मां शैलपुत्री की आरधना की जाती है।
16 अक्टूबर मां ब्रह्मचारिणी की आरधना की जाती है।
17 अक्टूबर मां चंद्रघंटा की आरधना की जाती है।
18 अक्टूबर मां कुष्मांडा की आरधना की जाती है।
19 अक्टूबर मां स्कंदमाता की आरधना की जाती है।
20 अक्टूबर मां कात्यायन की आरधना की जाती है।
21 अक्टूबर मां कालरात्रि की आरधना की जाती है।
22 अक्टूबर मां महागौरी की आरधना की जाती है।
23 अक्टूबर मां सिद्धिदात्री की आरधना की जाती है।
24 अक्टूबर मां दुर्गा विसर्जन ,दशमी तिथि (दशहरा)