जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह रहे हैं कि मोदी और शाह ने मध्यप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की सरकारें गिरा दीं, लेकिन राजस्थान को हिला भी नहीं पाए। यहां उनका मुकाबला आम लोगों से था और उन्होंने मुंह की खाई। अगर लोग मेरे साथ न होते, तो मध्यप्रदेश, कर्नाटक वाले दिन ही देखना पड़ते। आम आदमी का भरोसा राजस्थान सरकार में है। यही कारण है कि विधायकों ने दल-बदल की हिम्मत नहीं दिखाई। ऐसा नहीं होता, तो आधे से ज्यादा विधायक चले गए होते।
खरीद-फरोख्त का आरोप
अलग-अलग राज्यों में भाजपा ने जो खरीद-फरोख्त की है, उसका बदला चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में वोटर लेंगे। इनके मिशन की शुरुआत 2020 में हुई, जब इन्होंने कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन वाली सरकार गिरवा दी। उस शिवसेना को भी नहीं छोड़ा, जो कभी इनकी साथी हुआ करती थी। शिंदे-गुट को ले गए और सत्ता में वापस आ गए। मध्यप्रदेश में लालच और डर दिखा कर सरकार बना ली। लोगों ने इन्हें 2018 में नकार दिया था। हैरान हूं कि सत्ता की कुर्सी पर बैठते वक्त दिल नहीं पसीजा। आम जनता सब देख रही है। महीने भर बाद होने वाले मतदान में फिर नकार देगी। खरीद-फरोख्त वाले, इस बार ऐसा चुनाव हारेंगे कि जोड़तोड़ करने की हालत में भी नहीं रहेंगे। तभी इन्हें जनता की ताकत समझ में आएगी।
कॉंग्रेस से नाराज अखिलेश यादव
सपा नेता अखिलेश यादव कांग्रेस से बेहद नाराज हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि कांग्रेस ने उनकी पार्टी से म.प्र. में विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन नहीं किया, तो कहीं भी कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा। अखिलेश मध्यप्रदेश में कांग्रेस से इतने नाराज हैं कि ‘इंडिया’ गठबंधन की भी परवाह नहीं कर रहे हैं। अखिलेश म.प्र. में सपा के पैर जमाना चाहते हैं। उन्हें उम्मीद थी कि कांग्रेस, सपा के लिए कुछ सीटें छोड़ देगी, लेकिन इसके उलट जहां पिछली बार सपा जीती थी, वहां भी कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार खड़े कर के धोखा किया है। अखिलेश ने पहले म.प्र. की कई सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया। इसके बाद घोषणा-पत्र जारी कर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने जब सपा के लिए सीटें नहीं छोड़ीं, तो अखिलेश ने खुलेआम कांग्रेस को धमकी दी कि म.प्र. में गठबंधन नहीं किया, तो 2024 में यूपी में गठबंधन की बात भूल जाओ, भविष्य में कहीं भी कोई गठबंधन कांग्रेस के साथ नहीं किया जाएगा। सत्तर और अस्सी के दशक में म.प्र. में समाजवादी पार्टी (सोशलिस्ट पार्टी) के बतौर बहुत अच्छी हालत में थी। अखिलेश यादव चाहते हैं कि उसी तरह से म.प्र. में सपा को पैर जमाने का मौका मिल जाए, लेकिन कांग्रेस इसके लिए कतई तैयार नहीं है।