भोपाल। राज्य की दोनों प्रमुख पार्टी बीजेपी और कांग्रेस ने अपने-अपने चुनावी पत्ते अब पूरी तरह खोल दिए हैं। भाजपा कि जिन महिला प्रत्याशियों का सबसे ज्यादा चर्चा हो रहा है उनमें एक नाम प्रतिमा बागरी का भी है। भारतीय जनता पार्टी ने रैगांव विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। प्रतिमा ने कई दावेदारों के बीच अपनी जगह बनाई है। वकालत की पढ़ाई की और जमीनी स्तर पर भाजपा को ताकत दी है।
आखिरी वक्त पर बाजी मार गईं
उनके माता-पिता पार्टी की सेवा में लगे रहे, इसी का प्रतिसाद प्रतिमा को मिला है। सियासी उठा-पटक में हुआ यूं कि रैगांव से जुगल किशोर बागरी भाजपा के विधायक थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते वह अपनी जिंदगी की जंग हार गए। जिसके बाद यह सीट खाली हो गई। इस सीट पर जुगल किशोर बागरी के दोनों बेटे दावेदारी कर रहे थे, लेकिन प्रतिमा आखिरी वक्त पर बाजी मार गईं। बताया तो यहां तक जा रहा है कि मध्यप्रदेश के बीजेपी संगठन ने रैगांव सीट से पुष्पराज बागरी का नाम फाइनल करके दिल्ली भेजा था। हालांकि उनके छोटे भाई देवराज बागरी और अनुज वधु वंदना देवराज बागरी ने भी अपने पिता जुगल किशोर की राजनीतिक विरासत पर दावा ठोंक रखा था, लेकिन दिल्ली में बैठे पार्टी हाईकमानों ने अंत समय में प्रतिमा बागरी के नाम पर मुहर लगाई।
पढ़ाई में बीए, एलएलबी
प्रतिमा बागरी बीजेपी के महिला मोर्चा में लंबे समय से सक्रिय हैं। इसी साल कुछ माह पहले उन्हें पार्टी ने सतना जिला महामंत्री बनाया गया था। प्रतिमा को उम्मीद नहीं थी कि उनको पार्टी इतना बड़ा मौका देगी। तैंतीस साल की प्रतिमा बागरी ने पढ़ाई में बीए, एलएलबी किया हुआ है। उनके पिता जय प्रताप बागरी और मां कमलेश बागरी दोनों ही जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं। रैगांव विधानसभा में उनकी खासी लोकप्रियता है और इसी आधार पर वह पार्टी की पहली पसंद भी बन गईं