Nepal भूकंप की ताबाही का सामना कर रहा है। ऐसे में भूकंप प्रभावित देश Nepal की मदद के लिए भारत देश आगे आया और आपातकालीन राहत सामग्री की खेप भेज रहा है। शुक्रवार को आए भूकंप से अब तक 157 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 250 से ज्यादा के घायल होने की खबर है। भूकंप से मची भीषण तबाही ने जान-माल का काफी नुकसान हुआ है। भूकंप के कारण बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं।
राहत सामग्री की पहली खेप भेजी गई
Nepal की मदद के लिए भारत की ओर से भारतीय वायु सेना के जरिए राहत सामग्री की पहली खेप भेजी गई है, जो रविवार को Nepalganj पहुंच चुकी है। kathmandu में भारतीय ने दूतावास ने एक बयान में कहा की, ‘भारत की ओर से air force के एक विशेष C-130 उड़ान के जरिए Nepal को 10 करोड़ रुपये की भेजी गई आपातकालीन राहत सामग्री की पहली खेप प्राप्त हुई है। इसमें टेंट, कंबल, तिरपाल शीट, चादरें, स्लीपिंग बैग के साथ-साथ आवश्यक दवाएं, पोर्टेबल वेंटिलेटर और चिकित्सा उपकरण आदि शामिल हैं’। वहीं S Jaishankar ने X पर बताया कि, “Nepal के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में आपातकालीन राहत सहायता प्रदान की जा रही है। भारत दवाएं और अन्य राहत सामग्री पहुंचा रहा है”।
भूकंप पीड़ितों को मदद पहुंचाने की कोशिश में जुटी Nepal government
Nepal में शुक्रवार आधी रात से ठीक पहले आए 6.4 तीव्रता वाले भूकंप का केंद्र काठमांडू के 500 किलोमीटर पश्चिम में स्थित जाजरकोट जिले में था। जिसमें कम से कम 157 लोगों की मौत होने और भीषण तबाही मचने के बीच हिमालयी देश के प्राधिकारी बचाव एवं राहत कार्य में जुटे हैं। भूकंप के कारण पर्वतीय क्षेत्र में सैकड़ों मकान नष्ट हो गए और कई लोगों को खुले आसमान के नीचे रात बितानी पड़ी।
कई मकान क्षतिग्रस्त होने से हजारों लोग बाहर सोए
Nepal में भूकंप के कारण बड़ी संख्या में मकानों के क्षतिग्रस्त या नष्ट होने के कारण देश के पश्चिमोत्तर हिस्से के पर्वतीय गांवों में हजारों लोगों को कड़ाके की ठंड के बावजूद शनिवार रात को बाहर सड़कों पर सोना पड़ा । या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि कस्बों में कंक्रीट के कुछ मकान क्षतिग्रस्त हो गए। चिउरी गांव के निवासी लाल बहादुर बीका ने भूकंप के कारण मारे गए 13 लोगों के सफेद कपड़ों में लिपटे शवों की ओर इशारा करते हुए कहा, “हम अपने गांवों में मारे गए लोगों के शवों के अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहे हैं और भूकंप में घायल हुए लोगों की देखभाल करने की कोशिश कर रहे हैं।”