हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीवाली का पर्व धनतेरस से शुरू हो जाता है। इसके बाद दिवाली आती है जो अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस दिन माता लक्ष्मी भगवान विष्णु गणेश और कुबेर महाराज का पूजन किया जाता है। ज्योतिष आचार्य पंडित अनिल कुमार पांडे ने कहा कि दीवाली का त्योहार रात का त्यौहार है। भुवन विजय पंचांग के अनुसार 12 नवंबर को 1:44 से 13 नवंबर को 2:12 तक अमावस्या है। 12 नवंबर से अमावस्या शुरू हो रही है इसलिए 12 नवंबर की रात को ही दीवाली मनाई जाएगी।
क्यो मनाते है दिवाली का त्योहार
दीवाली भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों में से सबसे शुभ त्योहारों माना जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस त्योहार में धन की देवी लक्ष्मी और बुद्धि के देवता गणेश का सम्मान किया जाता है।इस दिन भगवान श्री राम राक्षस रावण का वध करके और 14 वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या वापस आये थे जिसकी खुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीप जलाए थे। दिवाली हिंदू कैलेंडर में कार्तिक महीने की अमावस्या को मनाई जाती है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में आती है।अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माने जाने वाले दिवाली पर्व को देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों और मान्यताओं के आधार पर मनाया जाता है।
विदेशों में भी बडे़ धूम धाम से मनाई जाति है दिवाली
भारत के पूर्व में वाराणसी की दिवाली काफी प्रसिद्ध है।यहां पर दिवाली से ज्यादा रौनक देव दिवाली के दिन देखने को मिलती है, और इस दिन घाटों को कई हजार दीयो से सजाया जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन स्वर्गलोक से देवतागण पृथ्वी पर दिवाली मनाने के लिए आते हैं ।यहां कि देव दिवाली को देखने के लिए देश विदेशों से लोग पहुंचते हैं।
विदेशों में भी होती है दिवाली की रौनक
भारत हि नहीं बल्कि विदेशो में भी दिवाली का त्योहार बढे़ धूम धाम से मनाया जाता है ,जहां पर हिंदू धर्म से जुड़े लोग रहते हैं।श्रीलंका में तमिल लोग इस त्योहार को पुरे को विधि-विधाने से मनाते हैं। इसी प्रकार अमेरिका, लंदन, थाईलैंड, मलेशिया आदि में भी दिवाली के मौके पर खूब रोनक रहती है।यहां पर रहने वाले सभी लोग दिवाली का त्योहार पुरे पारंपरिक तरीके से मनाते हैं।
पांच दिनों तक मनाया जाता है यह त्योहार
दिवाली का त्योहार पुरे पांच दिनों तक मनाया जाता है ।जिसकी शुरुआत धनतेरस के त्योहार से होती है। जिसके बाद, नरक चतुर्दशी, लक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भाई दूज का त्योहार होता है। दिवाली एक ऐसा त्योहार है जहां लोग सरस्वती, लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से सफलता और धन की प्राप्ति होती है। लोगों ने शाम की पूजा के बाद रोशनी फैलाने के लिए मोमबत्तियां और दीये जलाए।
क्या महत्व है इन पाच दिनों के त्योहार है
10 तारिक से शुरू हुए इस त्योहार के पहले दिन कि शुरूआत धनतेरस से होती है। इस दिन नई चीजें, खासकर सोना और चांदी खरीदने के लिए यह एक शुभ दिन माना जाता है।
दूसरा दिन नरक चतुर्दशी होती है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने का दिन है क्योंकि इस दिन बुरी आत्माओं को दूर रखने के लिए विशेष अनुष्ठान किये जाते हैं।
दिवाली, यानि कि तीसरे दिन, रावण को हराने के बाद भगवान राम अपने राज्य अयोध्या में वापस लौटे थे। इस दिन देवी लक्ष्मी और भगवन गणेश की भी पूजा की जाती है।
दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था।
दिवाली का 5वां और अंतिम दिन भाई दूज है। यह भाइयों और बहनों के बीच के बंधन का जश्न मनाने का दिन है।इस बहनें अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं।