दिल्ली मेट्रो के दरवाजे में कपड़े फंसने से महिला की मौत का मामला सामने आया है। मेट्रो के दरवाजे में साड़ी और जैकेट फंसने से महिला कई मीटर तक मेट्रो के साथ घसीटती चली गई। जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गई। यह घटना 14 दिसंबर को इंद्रलोक मेट्रो स्टेशन पर हुई जब महिला अपने बेटे के साथ नांगलोई से मोहन नगर की ओर जा रही थी। यह घटना में कहा गया कि मेट्रो के दरवाजे का सेंसर काम नहीं कर रहा था। जिससे महिला के कपड़े गेट में फंसे होने का पता नहीं चल पाया। हालांकि घटना के बाद उन्हें सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया और न्यूरोसर्जरी के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान महिला की मौत हो गई।
कैसे हुआ हादसा
यह हादसा रेड लाइन के इंद्रलोक मेट्रो स्टेशन से गाजियाबाद की ओर जाने वाली मेट्रो ट्रेन से हुआ था। बताया जा रहा है कि महिला अपने बेटे के साथ मेरठ जा रही थी। महिला गाजियाबाद की और जाने वाली ट्रेन में चढ़ गई और उसका बेटा प्लेटफोर्म पर रह गया। वह बेटे के लिए मेट्रो से बाहर निकल रही थी, तभी ट्रेन के गेट में उसका कपड़ा फंस गया। जिसकी वजह से वह मेट्रो के साथ घिसटती चली गई और बुरी तरह से घायल हो गई। 35 वर्षीय महिला नांगलोई की रहने वाली थी। उसका नाम रीना बताया जा रहा है।
मामले की हो रही जांच
मेट्रो रेलवे सुरक्षा आयुक्त (CMRS) की टीम इस पूरे मामले की जांच करेंगी। उहोने कहा की CCTV कैमरे की मदद से हादसे की वजह पता लगाने की कोशिश की जा रही है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि कपड़े की मोटाई 15MM से कम होगी, जिससे मेट्रो में लगे सेंसर ने काम नहीं किया।हालांकि हादसे की वजह अभी तक सामने नहीं आ पाई है।
DMRC ने किया मुआवजे का ऐलान
दिल्लीि में हुई मेट्रो हादसे की शिकार महिला के परिवारों के लिए अब DMRC यानी दिल्ली् मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने 15 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। यह मुआवजे का ऐलान मेट्रो स्टेकशन पर हुए हादसे की पूरी जांच के बाद किया गया है। आपको बता दे की अभी तक DMRC मेट्रो ट्रेन हादसे में मरने वालों को 5 लाख रुपये मुआवजा देती थी लेकिन इस घटना के बाद से यह राशि बड़ा कर 10 लाख रुपये कर दिया है। यह राशि महिला की मौत से अनाथ उसके दो छोटे बच्चोंट कि आगे की पढ़ाई के लिए दी लजाएगी।
12 और 6 साल दो बच्चे
आपको बता दे की इन बच्चों के पास उनकी मां के अलावा और कोई सहारा नहीं था। बच्चों के पिता कि भी मौत हो चुकी थी। जिसके बाद से वह अपनी मां के साथ नांगलोई में रहते थे। लेकिन अब मां की मौत के बाद इन बच्चों की देख रेख के लिए सेवा भारती द्वारा उनकी देख रेख का जिम्मा उठाया जाएगा।
सेवा भारती द्वारा सुधरेगा बच्चों का भविष्य
सेवा भारती दिल्ली के अध्यक्ष रमेश अग्रवाल ने बताया कि इस घटना को लेकर हम सभी को बहुत दुख हैं। मृतका की 12 साल की बेटी और 6 साल का बेटा है। जिनके भविष्य को लेकर चिंतित हैं, इसलिए उन्हें अपने आवासीय विद्यालयों में प्रवेश देने का निर्णय लिया गया है। जिन्हे सेवा भारती की ओर से संचालित आवासीय विद्यालयों में प्रवेश दिया जाएगा। सेवा भारती का मंडोली में सेवा धाम विद्या मंदिर के नाम से छात्रों का आवासीय विद्यालय है, जिसमें सीबीएसई बोर्ड के आधार पर 12वीं तक की पढ़ाई दी जाती है, इतना ही नहीं बल्कि आगे की भी पढ़ाई दूसरे कॉलेजों में कराने में मदद दी जाती है। आपको बता दे की यह आवासीय विद्यालय वर्ष 1987 से चलाया जा रहा है। इस सेवा धाम में इस समय 299 बच्चे हैं, जो बिहार, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़ समेत 18 राज्यों से हैं। इस आवासीय विद्यालय में मुख्य रूप से नक्सलवाद और आतंकवाद से पीड़ित क्षेत्रों के निर्धन व बेसहारा बच्चों का जीवन सुधार जाता है। जिसमें पढ़ाई से लेकर खाने और अन्य सारी चीजों की व्यवस्था निशुक्ल होती है।