उत्तर प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री राकेश धर त्रिपाठी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला सामने आया है। इस मामले में प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने आज इस मामले में अपना फैसला सुनाया। जिस दौरान आज दोपहर 2 बजे के करीब अदालत ने फैसले में मंत्री राकेश धर त्रिपाठी को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराया और उन्हें 3 साल कैद की सजा सुनाई गई है। साथ ही कोर्ट ने पूर्व मंत्री पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।
एमपी एमएलए की स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर किया था केस
विजिलेंस ने विवेचना के बाद चार्जशीट वाराणसी जिला कोर्ट में दाखिल की थी। हालांकि बाद में यह केस एमपी एमएलए की स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था। साथ ही पूर्व मंत्री एक मई 2007 से 31 दिसंबर 2011 के बीच बसपा की सरकार में उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के पद पर रहे थे।
क्या है आरोप?
आपको बता दे की उन पर आरोप है कि 1 मई 2007 से 31 दिसंबर 2011 के बीच उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में लोकसेवक पद पर रहते हुए इस दौरान आय से समस्त वैध स्रोतों से उन्होंने 49 लाख 49 हजार 928 रुपये अर्जित किए। इस दौरान संपत्ति अर्जन और भरण पोषण पर दो करोड़ 67 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किया। जो आय 2 करोड़ 17 लाख से अधिक है। जिसकि जानकारी पूर्व मंत्री राकेश धर त्रिपाठी नहीं दे पाए। जो कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (2) के अधीन अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। इस मामले के बाद बसपा ने उन्हें पार्टी से निकला दिया गया था। 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने राकेश धर त्रिपाठी को प्रतापपुर सीट से चुनाव लड़वाया था। लेकिन उन्हे उस में भी सफलता नहीं मिली थी।
Fake Document का इस्तेमाल करने का भी आरोप
राकेश धर त्रिपाठी पर उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए Fake Document के आधार पर कॉलेजों को मान्यता देने का आरोप लगाया गया था जो लोकायुक्त जांच में उन्हें कॉलेजों को गलत ढंग से मान्यता देने का आरोप सही साबित हुआ था। अपकप बता दे कि बसपा से उनके रिश्ते करीब 10 साल पहले खराब होना शुरू हो गए थे। लेकिन पार्टी ने उन्हें भदोही लोकसभा सीट से 2014 में टिकट देकर कद बढ़ाने की कोशिश की लेकिन फिर भी वह हार गए। उनके भतीजे पंकज त्रिपाठी को भी विधानसभा चुनाव लड़ाया गया लेकिन वह भी बुरी तरह हार गए।