कर्नाटक में एक बार फिर भाषा विवाद शुरू हो गया हैं। इस बार दुकानों, दफ्तरों और अन्य प्रतिष्ठानों के बाहर लगे साइनबोर्ड और नेमप्लेट को निशाना बनाया जा रहा हैं।इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी भी ‘60% कन्नड़ भाषा’ के फैसले के समर्थन में आ गए हैं। हालांकि, उन्होंने हिंसा की निंदा भी की है। 27 दिसंबर को कर्नाटक रक्षणा वेदिके (KRV) नाम के एक संगठन ने बेंगलुरु में उन साइनबोर्ड्स को तोड़ दिया जिनमें कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल नहीं किया गया था। प्रदर्शनकारियों के कई वीडियो भी वायरल हुए हैं।
बेंगलुरु ब्रुहट महानगरपालिका (BBMP) ने आदेश जारी किए थे कि, प्रतिष्ठानों पर मौजूद साइनबोर्ड्स पर 60% कन्नड़ भाषा होना चाहिए। साथ ही कहा गया था कि इसका पालन नहीं करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा भी अगर नही किया तो कारोबारी का लाइसेंस भी रद्द हो सकता है। हालांकि, इसके लिए BBMP ने 28 फरवरी 2024 तक का समय दिया था।
केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि, “सभी को साइन पढ़ने में आने चाहिए और सभी लोग अंग्रेजी नहीं पढ़ सकते हैं। अंग्रेजी या हिंदी जैसी किसी अन्य भाषा के साथ कन्नड़ में लिखने में क्या नुकसान है? यह इंग्लैंड तो नहीं है। अगर कोई हिंसा हुई है, तो इसकी बिल्कुल अनुमति नहीं है, लेकिन इन लोगों को भी भावनाओं और जरूरत को समझना चाहिए।”
27 दिसंबर को बेंगलुरु में करीब 20 दुकानों को निशाना बनाया गया था। यहां लगे अंग्रेजी साइनबोर्ड्स को तोड़ दिया गया था। प्रदर्शनकारियों ने MG रोड, ब्रिगेड रोड, लावेल रोड और सेंट मार्क्स पर कई दुकानों को निशाना बनाया। इसके अलावा केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भी अंग्रेजी साइबोर्ड्स को लेकर तनाव देखआ गया था।
यह पूरा विवाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के अक्टूबर में दिए गए एक भाषण से शुरू हुआ है, जिसमें उन्होंने कहा था कि, “इस राज्य में रहने वाले हर व्यक्ति को कन्नड़ बोलना सीखना चाहिए।”
इधर, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने साफ कर दिया है कि, हिंसा करने वालों के खिलाफ ऐक्शन लिया जाएगा। उन्होंने कहा, “कानून हाथ में लेने वाले और कानून के खिलाफ जाने वालों के खिलाफ हम कड़ी कार्रवाई करेंगे।”
कर्नाटक पुलिस ने केआरवी संयोजक टीए नारायण गौड़ा सहित 700 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया और कहा कि अन्य कन्नड़ समर्थक संगठन भी इसमें शामिल थे, उनकी तलाश का जा रही है। बेंगलुरु पुलिस ने दो पुलिस डिवीजनों में कन्नड़ समर्थक संगठनों के सदस्यों के खिलाफ चार मामले दर्ज किए हैं। हालांकि प्रदर्शनकारियों को कर्नाटक पुलिस अधिनियम के तहत हिरासत में लिया, लेकिन शाम को रिहा कर दिया था।
टीए नारायण गौड़ा ने कहा कि, “नियम के अनुसार, 60% साइनबोर्ड और नेमप्लेट कन्नड़ में होने चाहिए। हम किसी भी कंपनी या बिजनेस के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यदि आप कर्नाटक में व्यवसाय कर रहे हैं तो आपको हमारी भाषा का सम्मान करना होगा। यदि आप कन्नड़ को नजरअंदाज करते हैं या कन्नड़ को छोटे अक्षरों में लिखवाते हैं, तो हम आपको यहां काम नहीं करने देंगे।”