अयोध्या । भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। इस बीच मंदिर के आर्किटेक्ट ने बताया कि मंदिर पर भूकंप और बाढ का भी असर नहीं होगा। अहमदाबाद-बीआरडी के आर्किटेक्ट चंद्रकांत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए जाने वाले 1,200 करोड़ रुपये के राम मंदिर का हिमालय क्षेत्र में आने वाली बाढ़ और भूकंपरोधी होने के लिए परीक्षण किया गया है। उनके मुताबिक, यह मंदिर 2,500 साल तक सुरक्षित रहेगा। सोमपुरा (81) और उनके बेटे आशीष (51) ने मंदिर परिसर को डिजाइन किया। चंद्रकांत ने बताया कि वह स्वास्थ्य कारणों के कारण अभिषेक के लिए नहीं जाएंगे, लेकिन उनकी इच्छा है कि जब मंदिर पूरा हो जाए, तो उसे सभी धर्मों के लोगों के लिए खोला जाना चाहिए। चंद्रकांत ने देश और विदेश में 200 से अधिक मंदिरों को डिजाइन किया है। वह खुश हैं कि इस प्रोजेक्ट में उनके बेटे का हाथ है जो पेशेवर डिग्री के साथ परिवार में पहला मंदिर आर्किटेक्ट है।
कोई भी आपदा आए राम मंदिर को कुछ नहीं होगा
सोमपुरा ने प्रोजेक्ट की चुनौतियों के बारे में बताया। आशीष ने कहा कि यह दुनिया का पहला मंदिर होगा, जिसके निर्माण से पहले आपदा प्रतिरोध के लिए 3डी स्ट्रक्चरल एनालिसिस की गई है, जिसमें रिक्टर पैमाने पर 8 तक के भूकंप भी शामिल हैं। रूडक़ी में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने यह सुनिश्चित करने के लिए स्ट्रक्चरल एनालिसिस किया कि चाहे कोई भी आपदा आए, इस मंदिर को कुछ नहीं होगा। आशीष ने कहा, यह उच्चतम बाढ़ स्तर (अब तक दर्ज) से 20 फीट अधिक है। राम मंदिर की दूसरी अनूठी विशेषता ‘सूर्य तिलक’ है, जहां छत (शिखर) पर लेंस लगाए जाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सूर्य की किरणें राम नवमी के दिन मूर्ति के माथे पर पड़ें।
पुजारी बनने के लिए कड़ी मेहनत
वहीं, निर्माणाधीन राम मंदिर से 700 मीटर दूर एक हॉल में 21 युवा भगवान राम के मंदिर के अर्चक, पुजारी बनने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह सभी 30 वर्ष से कम उम्र के हैं। इन युवा अर्चकों को कठोर चयन प्रक्रिया के बाद चुना गया है। देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 2,700 लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था। यह सभी युवा सुबह 3.30 से 4 बजे के बीच उठते हैं और मंत्रों का जाप करते हुए दिन के प्रशिक्षण की तैयारी करते हैं। जिसमें घंटों, वैष्णवों के रामानंदी संप्रदाय की परंपराओं के अनुसार राम की पूजा करने की जटिलताओं को सीखना भी शामिल है। कडक़ड़ाती ठंड में, 21 युवा एक बड़े हॉल के फर्श पर बिछी चटाई पर कुछ कंबल और रजाई के साथ सोते हैं। यह एक सख्त ट्रेनिंग है, जिसमें उन्हें मंत्रों के उच्चारण, शास्त्र का ज्ञान, चरित्र निर्माण, योग आसन का प्रशिक्षण दिया जाता है।