नीतीश कुमार ने बहुमत से फ्लोर टेस्ट जीत लिया है। नीतीश ने 129 वोटो से अपनी जीत पक्की की। बहुमत आंकड़ा 122 वोटो का था, जिसे नीतीश सरकार ने पार कर लिया था। वोटिंग के परिणाम आने के बाद, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) समेत अन्य विपक्षी दल विधानसभा से चले गए थे। आरजेडी तेजस्वी यादव की पार्टी है। आरजेडी के कम से कम पांच विधायकों ने पार्टी व्हिप का उल्लंघन करते हुए, आखिर समय में दल बदल कर नीतीश कुमार को वोट दिया। इसके अलावा आरजेडी के ही तीन विधायक प्रह्लाद यादव, नीलम देवी और चेतन आनं एनडीए में चले गए थे। जिससे पूरी बाजी ही बदल गई।
क्या है फ्लोर टेस्ट?
फ्लोर टेस्ट वह प्रक्रिया है जिससे भारत में एक सरकार, राज्य विधानसभा में अपनी बहुमत दिखाती है। यह प्रक्रिया आम तौर पर तब होती है, जब किसी पार्टी में बदलाव, गठबंधन में बदलाव या भ्रष्टाचार जैसे आरोपों के कारण किसी सरकार की बहुमत हासिल करने की क्षमता पर संदेह उठता है।
क्यों हुआ था बिहार में फ्लोर टेस्ट?
जनवरी 2024 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए थे और भाजपा के साथ जुड़ गए थे। कुमार के इस कदम से विवाद खड़ा हो गया था। जिसके बाद विपक्ष ने नई सरकार की बहुमत साबित करने की मांग की थी।
क्या हुआ था फ्लोर टेस्ट के दौरान?
12 फरवरी, 2024 को फ्लोर टेस्ट हुआ था। जिसमें नीतीश कुमार ने अपनी नई सरकार के लिए समर्थन मांगते हुए विश्वास प्रस्ताव पेश किया था। 243 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा-जेडीयू गठबंधन के 128 सदस्य शामिल थे, जिसमें बहुमत आंकड़ा 122 का था। फ्लोर टेस्ट के दौरान आरजेडी के नेता अवध बिहारी चौधरी को विधानसभा अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था। अवध के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव जारी हुआ था, जिसमें 125 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में और 112 ने विपक्ष में वोट दिए थे। जिसके बाद डिप्टी स्पीकर महेश्वर हजारी को विधानसभा का नया स्पीकर बनाया गया था।
इस फ्लोर टेस्ट में सभी पार्टियों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए। जोरदार राजनीतिक ताने कसे गए। तेजस्वी यादव के ऊपर गुजराती समुदाय को ठेस पहुंचाने के लिए मानहानि का मामला भी दर्ज हुआ। लेकिन आखिरकर इस फ्लोर टेस्टिंग का परिणाम आ गया। पर इससे यह साफ है कि विपक्ष को यह परिणाम रास नहीं आया है।