इंदौर में बच्चों को नशे की लत लगवाकर शहर में भीख मंगवाने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इन दोनों आरोपीयों पर शुक्रवार को बंबई बाजार क्षेत्र में कार्रवाई की गई है। साथ ही नशे में घूम रहे चार बच्चों को रेस्क्यू कर उनके परिजन को सौंपा गया है। आपको बता दे कि, कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर इंदौर में बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए मुहिम चलाई जा रही है।
NGO संस्था प्रवेश अध्यक्ष रूपाली जैन ने बताया कि, शहर में बच्चों से भीख मंगवाने व छोटे-छोटे बच्चों द्वारा नशा कर सड़कों पर घूमने की लगातार शिकायत मिल रही थी। जिसके बाद पता चला कि, वाघमारे बगीचा के आसपास गलत काम चल रहा था और अब वो क्षेत्र नशे का अड्डा बन चुका है। छोटे से लेकर बड़े बच्चों को नशे का आदी कर भीख मंगवाई जाती है। बच्चों के मुताबिक यहां पर 16 से 22 वर्ष की 11 लड़कियां भी नशा बेचती हैं। लड़कियां कुछ लोगों पर हैरसमेंट के झूठे आरोप लगाकर पैसे लूटती थीं।
संस्था प्रवेश, महिला बाल विकास की टीम एवं सराफा पुलिस दल के साथ वे स्वयं फील्ड पर पहुंचे और उन्होंने नशे में घूम रहे बच्चों को रेस्क्यू किया। उनके परिजन को समझाया कि उन्हें स्कूल भेजें। नशे व भिक्षावृत्ति से दूर रखें।
पुलिस को बच्चों से मिली जानकारी से पता चला कि, इस काम में करीब 40 बच्चे शामिल हैं। इस काम को संचालित करने वाले लोग बच्चों को थिनर व व्हाइटनर का नशा करवाते थे। उन्हें चोरी करने व भीख मांगने की ट्रेनिंग भी दि जाती थी। मार-पीटकर बच्चों पर इन कामों के लिए दबाव बनाया जाता था। जवाहर मार्ग स्थित शोरूम व दुकानों पर शादी के लिए खरीदारी करने आए लोगों को बच्चे निशाना बनाया करते थे। दो बच्चे लोगों को बात-बात में फसा लिया करते थे और एक उनका पर्स व मोबाइल खींच कर भाग जाया करता था। भीख व चोरी करने से होने वाली कमाई से बच्चों को हर दिन 300 से 400 रुपये मिलते थे।
रेस्क्यू किए गए चार बच्चों के माता-पिता से भी बात की गई। जब उन्हें जानकारी दी गई थी कि, आपका बेटा नशा कर भीख मांगता है और चोरी कर रहा है तो वे चौंक गए थे। एक बच्चे के पिता का कहना था कि, मैं लोडिंग रिक्शा चलाकर परिवार का पालन-पोषण करता हूं। बेटा तो स्कूल जाता है। बाद में जब स्कूल से पूछा तो पता चला कि, बच्चा 15-20 दिनों से स्कूल नहीं आ रहा है। स्कूल वालों ने कहा कि, पहले भी उनका बच्चा लंबी छुट्टी मारता रहता था।
इंदौर को भिक्षुकमुक्त शहर बनाने के लिए पिछले कई दिनों से अभियान चलाया गया था। जहां इंदौर को 15 फरवरी तक बाल भिक्षुक मुक्त शहर बनाने की तैयारी की गई थी। अब इस अभियान के तहत कई सारे बच्चों का रेस्क्यू कर लिया गया है और अपने परिजनों के पास सुरक्षित है।