बंगाल का एक छोटा सा जिला ‘संदेशखाली’ लगभग दो महीनों से सुर्खियों में है। वजह है लंबे समय से हो रही अमानवीय घटनाओं के खिलाफ महिलाओं का विद्रोह। पहले छोटा सा विवाद समझा जाने वाला ये विद्रोह इस समय बंगाल की राजनीति का केंद्र बन चुका है। लेकिन पूरा मामला समझने से पहले कुछ कहानियों पर गौर करना बेहद जरूरी हैं।
एक महिला ने आपबीती सुनाते हुये बताया कि, ”शाहजहां शेख के लोग जबरदस्ती पार्टी ऑफिस में बुलाते थे। इस मीटिंग में गांव के सभी लोग जाते थे। मीटिंग के बाद मर्दों को घर भेज दिया जाता है, जबकि महिलाओं को रोक लिया जाता। चाहें महिला 18 साल की हो या 40 साल की, उन्हें जो अच्छी लगती, उसे रोक लेते। उनके साथ गलत हरकतें करते। अगर कोई महिला दफ्तर नहीं पहुंचती तो उसके पति को उठा लेते थे।”
एक अन्य पीड़िता ने बताया, ”टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके लोगों को जो औरत अच्छी लगती, पार्टी की मीटिंग के बहाने उसे दफ्तर बुला लेते थे। जब तक मन नहीं भर जाता, दफ्तर में रखा जाता। कोई महिला अगर बुलाने पर नहीं आती तो उसे घर से उठा लिया जाता। मुझे 3-4 बार बुलाया गया, जब नहीं गई, तो मेरे पति के साथ मारपीट की गई। मैं क्या करती।13 साल से ये सब चल रहा है।” ”सालों से संदेशखाली में महिलाओं का यौन और सामाजिक उत्पीड़न हो रहा है, लेकिन हम किसी को भी बताने से डरते थे।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, एक महिला कहती है, ”वे हमारे लिए ‘सेक्सी’, ‘माल’ और ‘आइटम’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे। हमसे इन बैठकों में और महिलाओं को लाने के लिए कहा जाता था। वो कहते थे कि हम सिर्फ मनोरंजन के लिए हैं।महिलाओं का दावा है कि जब वे शिकायत करने पुलिस के पास पहुंची तो कोई कार्रवाई नहीं की गई, बल्कि उन पर शिकायत वापस लेने का दबाव डाला गया।
संदेशखाली में महिलाओं के साथ ज्यादती के सैकड़ों मामले हैं, लेकिन सब पर हुये अत्याचार की कहानी एक जैसी ही है। कई दिनों से सड़कों पर उतरी महिलाओं का आरोप था कि TMC के स्थानीय नेताओं ने न सिर्फ उनकी जमीनों पर कब्जा किया, बल्कि सालों तक उनका यौन शोषण भी किया। इतने दिनों से चलते आ रहे संदेशखाली मामले में पीड़ितों को कुछ राहत तो मिली होगी। इस मामले के मुख्य आरोपी ‘शेख शाहजहाँ’ गिरफ्तार कर लिया गया है । शाहजहाँ की गिरफ़्तारी पूरे 56 दिनों के विरोध के बाद हुई है। शाहजहाँ को 10 दिनों के लिए बंगाल पुलिस की हिरासत में रखा गया है।
क्या है संदेशखाली का पूरा मामला?
सबसे पहले बता दें कि संदेशखाली उत्तर 24 परगना जिला का एक हिस्सा है। यह बांग्लादेश बॉर्डर से 320km की दूरी पर स्थित है। इस मामले की शुरुआत 5 जनवरी से हुई थी, जब ED TMC के स्थानीय मंत्री शाहजहां शेख और उत्तम सरदार के घर छापेमारी करने गई थी। ED राशन घोटाले मामले से जुड़े आरोपों के लिए छापेमारी करने गई थी। लेकिन छापा पड़ने के पहले ही ED पर TMC के गुंडों ने हमला कर दिया था। छापा पड़ने के बाद से ही शेख गायब था। लेकिन वहां की जनता का कहना था कि, शाहजहाँ कहीं भी गायब नहीं हुआ है, वह TMC की संरक्षण में ही है।
ED की छापेमारी के बाद वहां की जनता को शाहजहाँ के खिलाफ विरोध करने की हिम्मत मिली। बहुत से पत्रकारों ने वहां की जनता से पूछताछ की। उस पूछताछ में महिलाओं की कई कहानियां सामने निकल कर आयी। महिलाओं ने बताया कि, शाहजहाँ ने पूरे गांव में अपनी तानाशाही बना रखी थी। शाहजहाँ दलित किसानों की जमीन हड़पकर उस पर झींगे की फर्मेंटेशन करता था और उसके बदले में किसानों को कोई ब्याज तक नहीं देता था। इसके अलावा शाहजहाँ के साथी हर हिंदू घर का निरीक्षण करते थे और संदेशखाली की सभी सुंदर लड़कियों और महिलाओं की एक सूची तैयार करते थे। जिसके बाद उन महिलाओं को पार्टी ऑफिस ले जाया जाता था और जब तक उनका मन नहीं भरता था, तब तक उन महिलाओं का यौन शोषण किया जाता था। वो नाबालिक लडकियों को भी नही छोड़ते थे।
महिलाओं के बयान सामने आने के बाद संदेशखाली से पूरे देश मे सनसनी फैलने लगी, विपक्षी दल और देश शाहजहाँ की गिरफ़्तारी की मांग करने लग गये। लेकिन बंगाल पुलिस और सरकार शाहजहाँ की गिरफ़्तारी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रही थी। इसके बाद ये विवाद और गरमा गया। वहां पर विरोध प्रदर्शन शुरू गया था। इस प्रदर्शन को देखते हुए बंगाल सरकार ने वहां पर धारा 144 भी लगा दी। इससे संदेशखाली की जनता आक्रोश में आ गई और उन्होंने शाहजहाँ के पोल्ट्री फार्म में आग लगा दी।
आपको बता दें कि, शाहजहाँ की असलियत सामने आने के बावजूद बंगाल सरकार और पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर रही थी। बल्कि उसकी गिरफ्तारी की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले रही थी। इस मामले के बाद TMC और ममता बनर्जी पर कई सवाल उठने लगे हैं। मां – माटी का हो हल्ला करने वाली ममता बनर्जी भी इसे संघ की साज़िश बता पल्ला झाड़ते नज़र आयी। उन पर हिंदू जनता पर तानाशाही करने के आरोप भी लगे हैं। टीएमसी नेताओं ने मर्यादा की सारी हदें तब लांग दी। जब कुणाल घोष ने मीडिया से बात करते हुए कहा था कि संदेशखाली की जो आदिवासी महिलाएं हैं, उन्हें तो उनकी शारीरिक बनावट और रंग की वजह से आसानी से पहचाना जा सकता है। लेकिन जो महिलाएं टीवी पर आकर शिकायत कर रही हैं, वो सारी तो गोरी हैं। तो क्या वो महिलाएं आदिवासी थीं, पिछड़े समाज से थे और क्या वे संदेशखाली की ही थीं?
NCSC ने की राष्ट्रपति शासन की मांग!
संदेशखाली महिलाओं पर हो रहे इस अत्याचार को देखते हुए, ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग’ ने सुप्रीम कोर्ट से पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की है। इस कानून के तहत राज्य में मुख्यमंत्री शासन नहीं होगा, बल्कि उस राज्य में सीधे राष्ट्रपति के आदेश लागू होंगे।
NCSC के इस सुझाव पर पश्चिम बंगाल की जनता भी अपनी सहमति दे रही है। उनका कहना है कि, पिछले कुछ सालों से बंगाल में हिंदू जनता के प्रति भेदभाव और हिंसा बढ़ चुकी है। बांग्लादेश से आए कई अवैध अप्रवासियों ने पश्चिम बंगाल में अपना शासन जमा कर रखा है। उनका यह भी कहना है कि, ममता बनर्जी की सरकार उन्हें इस पर बढ़ावा भी देती है।
अब देखना यह है कि, क्या सुप्रीम कोर्ट NCSC के इस सुझाव को स्वीकार करता है या नहीं। बाकी मोर्चा सम्भाले हुयी महिलाओं का संदेश खाली इतना है कि महिलाओं के खिलाफ इन अत्याचारों को अब चुपचाप सहन नही किया जायेगा।