बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा और चार अन्य को “माओवादी लिंक” में शामिल होने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के संबंधित आरोपों से बरी कर दिया गया है। इसमें साईबाबा के साथ महेश करीमन तिर्की, हेम केशवदत्त मिश्रा, पांडु पोरा नरोटे और प्रशांत राही भी शामिल हैं।
पांचों लोगों को 2014 में देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सदस्य होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जिसके बाद उन्हें 2017 में गढ़चिरौली सत्र न्यायालय द्वारा आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद साईबाबा, महेश तिर्की, हेम मिश्रा, पांडु नरोटे, विजय तिर्की और प्रशांत राही ने मामले की दोबारा सुनवाई की अपील दायर की थी। इस अपील के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर ब्रांच ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत उनके अभियोजन के लिए वैध मंजूरी की कमी होने का हवाला देते हुए, अक्टूबर 2022 में सभी को बरी कर दिया था।
यह फैसला आने के बाद, महाराष्ट्र सरकार ने उसी दिन फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने शुरू में आदेश पर रोक लगा दी थी और बाद में अप्रैल 2023 में हाई कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया था। जिसमें साईबाबा द्वारा दायर अपील पर नए सिरे से सुनवाई करने का निर्देश दिया गया था। आज उस अपील के फैसले में जस्टिस विनय जोशी और वाल्मिकी एस.ए. मेनेजेस ने पांचों आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया है।
क्या है माओवादी लिंक?
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) यानी माओवादी, भारत का प्रतिबंधित कम्युनिस्ट राजनीतिक दल और उग्रवादी संगठन है। इस समूह का लक्ष्य क्रांति के माध्यम से भारत सरकार को उखाड़ फेंकना है। इसे देश में एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है। इसमें किसी व्यक्ति या समूह का “माओवादी लिंक” होने का मतलब है CPI (माओवादी) के साथ किसी प्रकार का संबंध होना। जो वैचारिक मार्गरेखा से लेकर सक्रिय समर्थन तक हो सकता है।