MP-MLA कोर्ट ने जौनपुर के पूर्व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सांसद धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी के मामले में बुधवार को 7 साल की सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने 75 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। धनंजय सिंह पर जौनपुर, लखनऊ और दिल्ली सहित अन्य जगह पर 40 से अधिक मामले दर्ज हैं। इनमें सबसे ज्यादा 19 मुकदमे लखनऊ के विभिन्न थानों में दर्ज हैं। साथ ही धनंजय सिंह 50 हजार का इनामी बदमाश भी रह चुका है। उनकी कई मामलों में गिरफ़्तारी होकर जमानत भी हो चुकी है, लेकिन अब पहली बार उन्हे किसी मामले में 7 साल की सजा सुनाई गई है।
क्या है अपहरण व रंगदारी मामला?
मुजफ्फरनगर के रहने वाले अभिनव सिंघल नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर है। उन्होंने 10 मई 2020 को अपहरण और रंगदारी दिखाने के मामले धनंजय और विक्रम के खिलाफ शिकायत दर्ज कारवाई थी। विक्रम दो साथियों के साथ अभिनव का अपहरण कर उन्हे पूर्व सांसद के आवास पर ले गए थे। अभिनव की FIR के बाद धनंजय को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। 4 साल बाद यानि 6 मार्च 2024 को इस मामले में MP-MLA कोर्ट ने धनंजय सिंह और उनके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह दोनों को दोषी करार कर दिया है। कोर्ट ने उन पर लगे आरोप को सही साबित होने के बाद सजा का ऐलान किया है।
इन धाराओं के तहत सुनाई सजा
वकील सतीश कुमार पांडेय ने बताया है कि पूर्व सांसद धनंजय सिंह और संतोष विक्रम के खिलाफ MP- MLA कोर्ट ने IPC की धारा 364, 385, 504 और 506 के तहत सजा सुनाई है। जिसमें IPC की धारा 364 के तहत 7 साल की कैद और 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा IPC की धारा 385 में 5 साल की सजा और 25 हजार रुपए जुर्माना और धारा 506 के तहत लगे आरोप में दो साल की सजा सुनाई है।