धार। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर बेंच ने धार स्थित भोजशाला के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को अनुमति दे दी है। बता दें कि मां सरस्वती मंदिर भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया था। जिस पर पर हाईकोर्ट ने ASI को वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है। एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने इसकी जानकारी दी, जो ज्ञानवापी और मथुरा की लड़ाई भी लड़ रहे हैं। हिन्दू पक्ष इसे एक मंदिर बताता है। वहीं मुस्लिम पक्ष इसे ‘कमाल मौला मस्जिद’ बताता है। हालांकि, अब ASI इस ढांचे का पूर्ण वैज्ञानिक सर्वे और खुदाई करेगी। भोजशाला परिसर और इसके चारों तरफ 50 मीटर के क्षेत्र में यह सर्वे होगा।
हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच के लिए 5 सदस्यीय कमेटी भी गठित की है। यह कमेटी सर्वे का काम देखेगी। कोर्ट ने इस मामले में सर्वे को पूरा कर 29 अप्रैल तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी। बात दें कि, हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर करीब एक हजार साल पुरानी भोजशाला में वैज्ञानिक सर्वे कराकर जांच की मांग की गई थी।
याचिका में क्या कहा?
हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि, मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से रोका जाए और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार दिया जाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के तर्क सुनने के बाद मामले में राज्य शासन, केंद्र शासन सहित अन्य संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
इस याचिका में एक अंतरिम आवेदन प्रस्तुत करते हुए मांग की गई थी कि, ASI को आदेश दिया जाए कि वह ज्ञानवापी की तर्ज पर धार की भोजशाला में भी सर्वे करे।
पहले भी हो चुका है सर्वे
मामले में सुनवाई के दौरान ASI ने कोर्ट को बताया कि, वर्ष 1902-2003 में भोजशाला का सर्वे हुआ था। इसकी रिपोर्ट कोर्ट के रिकॉर्ड में है। नए सर्वे की कोई आवश्यकता नहीं है। सर्वे के आधार पर ही ASI ने आदेश जारी कर मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज का अधिकार दिया था। यह आदेश आज भी अस्तित्व में है।
पूजा के अधिकार की मांग
इस मामले में हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की तरफ से एडवोकेट हरिशंकर जैन और एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने पैरवी की हैं। उन्होंने कोर्ट में कहा कि, पहले जो सर्वेक्षण हुए हैं वे साफ-साफ बता रहे हैं कि, भोजशाला वाग्देवी का मंदिर है। इसके अलावा और कुछ नहीं हैं। हिंदुओं का यहां पूजा करने का पूरा अधिकार है। हिंदुओं को पूजा का अधिकार देने से भोजशाला के धार्मिक चरित्र पर कोई बदलाव नहीं होगा।
सर्वे में मिले थे विष्णु और कमल
ASI की ओर से एडवोकेट हिमांशु जोशी ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 1902-2003 में पुरातत्व विभाग भोजशाला का सर्वे कर चुका है। इसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में प्रस्तुत है। रिपोर्ट के साथ फोटोग्राफ भी संलग्न हैं। इनमें भगवान विष्णु और कमल स्पष्ट नजर आ रहे हैं। नए सर्वे की कोई आवश्यकता ही नहीं है। सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर ही 2003 में आदेश जारी हुआ था।