वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक 2050 तक 30 शहरों में पानी की कमी हो जाएगी, इनमे इंदौर का नाम भी शामिल है। गर्मी शुरू हुए अभी एक महीना भी नहीं हुआ है और इंदौर में पहले से ही पानी की कमी दिखना शुरू हो गई है। जहां शहर में नगर निगम का नल हर दूसरे दिन आता था, अब वह 2-3 दिनों में एक बार आ रहा है। इंदौर के कुछ इलाकों में तो हर 15 दिनों में लोगों को पानी का टैंकर बुलाना पड़ रहा है। नर्मदा लगभग आधी सूख गई है और अवैध बोरिंग के कारण भूमिगत जल का स्तर भी कम हो गया है।
ऐसे में शहर के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने मंगलवार को कहा है कि इंदौर की समृद्धि मात्र प्रभावी जल प्रबंधन पर ही निर्भर है। इसी के चलते मंगलवार को ‘वंदे जलम’ अभियान की शुरुआत हुई है। शहर में बढ़ते जल संकट से निपटने के लिए संघमित्रा और विश्वम संगठनों ने आधिकारिक तौर पर इस अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम में उन्होंने इस कार्य में आम लोगों की भागीदारी की जरूरी भूमिका को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि शहर को बरसात के दिनों में पानी की हर एक बूंद को संरक्षित करने की जरूरत है।
इस अभियान का लक्ष्य है कि जल संरक्षण के लिए एक मुख्य रणनीति के रूप में बारिश के पानी के हार्वेस्टिंग को बढ़ावा मिले। इसके अलावा भूजल के पुनः सुधार के लिए छत पर बागवानी और देशी पेड़ लगाने जैसी पहल को प्रोत्साहित करना है।
दरअसल, भूमिगत जल की कमी का सामना करने वाले शहरों की सूची में इंदौर का भी नाम शामिल है। ऐसे में इंदौर की रैंकिंग पर गौर करते हुए, महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बेंगलुरु जैसे संकट इंदौर में होने से रोकने के लिए सक्रिय उपायों के पालन की आवश्यकता पर जोर दिया है।
अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम के दौरान बेंगलुरु के प्रसिद्ध नदी संरक्षणवादी प्रसन्ना प्रभु ने बारिश के पानी की हार्वेस्टिंग के महत्व पर जोर दिया और स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए समाधानों की आवश्यकता पर जोर दिया है। इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भूजल को फिर से भरने के लिए गड्ढों जैसी जल भंडारण सुविधाओं को प्रमुख रूप से अपनाने का प्रस्ताव रखा है।
ऐसे ही कई बड़ी हस्तियों के साथ-साथ आम नागरिकों ने भी कार्यक्रम के दौरान अपने-अपने पानी बचाने के तरीके साझा किए हैं।