भारत समेत दुनियाभर में ईद को लेकर तैयारियां चल रही हैं। लोग ईद के चांद का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सऊदी अरब, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा के लोगों ने 11 मार्च से अपना रोज़ा रखना शुरू किया था। इस साल रमज़ान के 29 दिन पूरे होने के बाद भी इन देशों में 8 अप्रैल को ईद-उल-फितर का चांद नहीं दिखा है। इसलिए इस बार इन देशो में भी रमज़ान का महीना पूरे 30 दिन का होगा। वहीं भारत में 12 मार्च से रोज़ा रखना शुरू किया गया था। इसलिए भारत में 10 अप्रैल को ईद-उल-फितर का चांद दिख सकता है।
कब मनाई जाएगी सऊदी अरब में ईद?
सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, कतर, कुवैत, बहरीन, मिस्र, तुर्की, ईरान, यूनाइटेड किंगडम और मध्य पूर्व और पश्चिम के देशों में 10 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी। पहले कहा गया था कि, अगर 8 अप्रैल को शव्वाल का चांद दिख जाता है तो 9 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी, लेकिन सऊदी अरब में सोमवार को चांद नहीं दिखा। अब ऐसे में इन शहरों में 10 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी।
भारत में कब मनाई जाएगी ईद?
वहीं, भारत की बात करे तो अगर भारत में 9 अप्रैल को चांद दिखता है तो, ईद अगले दिन यानी बुधवार 10 अप्रैल को मनाई जाएगी। लेकिन इस दिन भी चांद नहीं दिखाई देता है तो अगले दिन भी रोज़ा रखेंगे फिर 10 अप्रैल को चांद नजर आएगा और 11 अप्रैल को ईद मनाई जाएगी।
कैसे मनाई जाती है ईद?
आपको बता दे कि, ईद के दिन सुबह के समय मुस्लिम लोग नहाकर नए कपड़े पहनते हैं और ईद की नमाज़ पढ़ने मस्जिद जाते हैं। इस दिन मुस्लिम लोग नमाज़ के जरिए अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं। इस खास मौके पर घर के बड़े, छोटे बच्चों को ईदी भी देते हैं। इतना ही नहीं बल्कि इस दौरान तरह-तरह के व्यंजन जैसे मिठाइयां और सेवइयां आदि से एक-दूसरे का मुंह मीठा करवाते हैं। साथ ही इस दिन जरूरतमंदों को खाना खिलाया जाता है, उन्हें कपड़े और जरूरत की चीजें भी बांटी जाती हैं।
क्या है रमज़ान के महीने का महत्व?
इस्लाम धर्म में रमज़ान का महीना सबसे पवित्र माना जाता है। इस महीने को अल्लाह की रहमत का महीना भी कहा जाता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमज़ान के पाक महीने को तीन भागों में बांटा गया है। ऐसी मान्यता है कि, रमज़ान के पहले अशरे में जो लोग रोज़ा रखते हैं और नमाज़ अदा करते हैं उन पर अल्लाह की रहमत होती है। दूसरी अशरे में मुसलामन अल्लाह की इबादत करते हैं और अल्लाह उनके गुनाहों को माफ कर देते हैं। वहीं आखिरी और तीसरे अशरे की इबादत और रोज़ा से जहन्नुम या दोजख से खुद को बचाया जा सकता है। इस तरह से इस्लाम में रमज़ान के तीन अशरे को महत्वपूर्ण बताया गया है।