लोकसभा चुनावों मे BJP के मिशन 400 पार मे मध्य प्रदेश अहम भूमिका निभाने वाला है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए MP में BJP को शत-प्रतिशत जीत की जरूरत है। इस दौरान नए सीएम डॉ. मोहन यादव का भी कठिन टेस्ट होने वाला है। बड़े टेस्ट में उनका मुकाबला किसी अन्य से नहीं बल्कि पूर्व सीएम शिवराज से ही है। दरअसल, मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। शिवराज की लीडरशिप मे भाजपा छिंदवाड़ा छोड़ 28 सीटों पर विजयी रही थी। सीएम के पद से उतरने के बाद भी शिवराज की लोकप्रियता बरकरार है। जिसका नज़ारा कई जनसभाओं मे देखा जा चुका है। महिलाओं से भाई – बहन का रिश्ता और उनकी मामा वाली मजबूत छवि सफलता का रामबाण मानी जाती है। अगर मोहन को शिवराज की छाया से बाहर निकलना है, तो उन्हें शिवराज के ही पुराने रिकॉर्ड और कॉंग्रेस के सभी सीट जीतने वाले रिकॉर्ड को ध्वस्त करना होगा। वो ये करिश्मा कर पाते हैं तो, पार्टी और देश की राजनीति मे उनका कद काफी विराट हो जाएगा।
शिवराज का शानदार प्रदर्शन
शिवराज सिंह की विनम्र छवि उनकी राजनीतिक पूंजी है। वे पहली बार 29 नवंबर 2005 को मुख्यमंत्री बने। उसके बाद 8 से 13 दिसंबर 2013 सीएम रहे फिर 14 दिसंबर 2013 से 17 दिसंबर 2018 तक मुख्यमंत्री बने रहे। 2018 में कमलनाथ की सरकार बनी, जो कि 15 महीने में गिर गई। इसके बाद 23 मार्च 2020 को चौथी बार शिवराज सीएम बने और कार्यकाल पूरा किया। उनके नेतृत्व मे साल 2014 में बीजेपी ने MP की 27 सीटों पर अपना झंडा गाड़ा था। गुना और छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस के खाते में गईं थीं। उस सरकार में मध्यप्रदेश से 6 मंत्री बनाए गए थे। 2019 लोकसभा मे कांग्रेस से गुना सीट भी छिन गई। बीजेपी ने 28 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बना दिया। पिछले विधानसभा चुनावों मे भी उनके मास्टरस्ट्रोक की वजह से भाजपा को MP मे भारी बहुमत से जीत मिली थी।
सिर्फ एक बार ही किसी पार्टी ने जीती है सभी सीट
मध्यप्रदेश में सभी सीटों पर जीत आसान नहीं है। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर कमलनाथ और उनका परिवार लगातार 9 बार से जीत दर्ज कर रहा है। पिछली बार सिर्फ इसी सीट को भाजपा नहीं जीत सकी थी। 84 के सीख दंगों के बावजूद इंदिरा गांधी की हत्या से सहानुभूति की लहर चल पड़ी थी। इसी वजह से कांग्रेस ने मध्यप्रदेश(अविभाजित) की सभी 40 सीटें जीत ली थीं। तब मध्यप्रदेश में कांग्रेस के अर्जुन सिंह का शासन था।