झारखंड की 16 साल की काम्या कार्तिकेयन ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर इतिहास रच दिया है। टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन की सदस्य काम्या ने माउंट एवरेस्ट पर टाटा स्टील का झंडा भी फहराया है। 20 मई दोपहर 12.35 बजे काम्या ने एवरेस्ट की चोटी पर भारतीय तिरंगा लहरा कर देश का नाम रोशन किया है। काम्या के साथ उनके पिता भी थे। बेटी ने पिता को पीछे छोड़ते हुए एवरेस्ट के शिखर पर पहले कदम रखा था।
काम्या ने अब तक 5 चोटियों पर फतह हासिल की है, जिनमें अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी माउंट किलिमंजारो (5,895 मीटर), यूरोप का सबसे ऊंचा पर्वत, माउंट एल्ब्रस (5,642 मीटर) और ऑस्ट्रेलिया का सबसे ऊंचा पर्वत, माउंट कोसियुस्को (2,228 मीटर) शामिल हैं। 2017 में वह एवरेस्ट बेस कैंप तक ट्रेक करने वाली दुनिया की दूसरी सबसे कम उम्र की लड़की बन गई थीं। यही नहीं, वह 20 हजार फीट ऊंचा माउंट स्टोक पर सफलता हासिल करने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला भी बनी है।
काम्या कार्तिकेयन अपने पिता एस कार्तिकेयन के साथ रविवार (19 मई 2024) की देर रात फाइनल समिट के लिए बेस कैंप-4 से निकली थी। रविवार को ही दोनों बेस कैंप-4 में पहुंचे थे। इनका समिट 6 अप्रैल को काठमांडू से शुरू हुआ था। माउंट एवरेस्ट के शिखर पर पहुंचने का यह 7 सप्ताह का अभियान था।
आइए जानते है किन-किन लोगों ने अभी तक माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल की हैं
माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला बछेंद्री पाल के बारे में तो आपने सुना ही होगा। साल 1984 में उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को छूआ था। वह एवरेस्ट की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं।
वही मलवथ पूर्णा की बात करे तो वह तेलंगाना के दलित परिवार से है। 13 साल की मलवथ पूर्णा ने सबसे कम उम्र में एवरेस्ट पर चढ़ने का कारनामा किया था। पूर्णा दुनिया की इकलौती ऐसी लड़की है, जो इतनी कम उम्र में 8,848 मीटर ऊंचे पर्वत पर चढ़ने में सफल हुई थी।
महाराष्ट्र के पुणे की रहने वाली अरिष्का लड्डा माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक चढ़ाई करने वाली सबसे कम उम्र की थी। एवरेस्ट बेस कैंप 17,500 फुट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। अरिष्का ने मां के साथ 15 दिन में यह अभियान पूरा किया था।
छत्तीसगढ़ की पर्वतारोही याशी जैन ने माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल कर इतिहास रचा था। याशी ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था। याशी का ये अभियान 1 अप्रैल 2023 से शुरू हुआ था। तकरीबन 45 दिनों में याशी ने माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल किया था। कुल 15 लोगों की टीम में याशी छत्तीसगढ़ से एकमात्र पर्वतारोही थी। याशी ने माउंट एवरेस्ट फतह के बाद वहां फहराए जाने वाले “भारतीय राष्ट्रीय ध्वज” और “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़” ध्वज के साथ “गोधन न्याय योजना” का भी ध्वज लहराया था।