शिमला में पिछले कुछ दिनों से हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच संजौली मस्जिद को लेकर काफी अशांति फैली हुई है। हिंदू पक्ष का कहना है कि, शिमला के संजौली इलाके में जो मस्जिद है उसका एक हिस्सा अवैध है। हिंदू उसी अवैध हिस्से को गिराने की काफी दिनों से मांग कर रहे हैं। इसी के चलते कल यानी बुधवार को हिंदू प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था, जिसमें उनकी सुरक्षाकर्मियों से भिड़न हो गई थी। विरोध के दौरान, प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स तोड़ दिए थे और उन्होंने उन पर पथराव भी किया था। वहीं, पुलिस ने भी उन पर पानी की बौछारों और लाठीचार्ज का इस्तेमाल किया था। कल हुए इस विरोध प्रदर्शन में पुलिस और महिलाओं समेत करीब 10 लोग घायल हो गए थे।
कल के हालत को देखते हुए, राज्य सरकार ने आज सुबह 10 बजे से 1 बजे तक शहर में सभी प्रतिक्रिया में रोक लगा दी थी। मामले में प्रतिक्रिया करते हुए राज्य मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि, सरकार इस स्थिति को लेकर काफी चिंतित है और सभी घटनाक्रमों पर कड़ी नज़र रखी हुई है। वह केंद्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू के संपर्क में हैं और उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पार्टी प्रभारी राजीव शुक्ला से बात की थी और वे भी मामले को लेकर चिंतित हैं।
साथ ही उन्होंने यह ही कहा था कि, यदि शिमला नगर आयुक्त की अदालत मस्जिद के निर्माण को अवैध करार कर देती है, तो उसे ध्वस्त कर जा सकता है। लेकिन राज्य सरकार कानून के शासन का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है।
वहीं आज मामले को देखते हुए, मुस्लिम पक्ष ने प्रतिक्रिया करते हुए मस्जिद का अवैध हिस्सा खुद ही ध्वस्त करने की बात कही है। “मुस्लिम कल्याण समिति” के प्रतिनिधियों ने शिमला नगर निगम आयुक्त “भूपेंद्र कुमार अत्री” को एक ज्ञापन सौंपा है और नगर निगम से मस्जिद के अवैध हिस्से को सील करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि, अदालत के आदेश के अनुसार वह स्वयं उस हिस्से को गिरा देंगे।
इस पैनल में मस्जिद के इमाम और वक्फ बोर्ड तथा मस्जिद प्रबंधन समिति के सदस्य शामिल थे। समिति के एक प्रतिनिधिमंडल ने भूपेंद्र अत्री को ज्ञापन सौंपते हुआ कहा कि, इलाके में रहने वाले मुसलमान हिमाचल प्रदेश के स्थायी निवासी हैं और वह शांति और भाईचारे को बनाए रखने के लिए यह कदम उठा रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि, उन पर ऐसा कहने का कोई दबाव नहीं है। वह दशकों से यहां पर रह रहे हैं और यह फैसला हिमाचली होने के नाते उनके द्वारा लिया गया है। वह शांति से रहना चाहते हैं और चाहते है कि शहर में भाईचारा कायम रहे।