हिंदी भारत की एक महत्वपूर्ण भाषा है और देश की सांस्कृतिक विरासत और एकता का प्रतीक है। यह भारत की राज भाषाओं में से एक है और उत्तर भारत के कई राज्यों में प्रमुख रूप से बोली जाती है। हिंदी का महत्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पड़ोसी देशों जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका में भी है जहां यह भाषा बोली जाती है। इस भाषा को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए हिंदी दिवस के अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यह दिवस हमें हिंदी भाषा के प्रति गर्व और सम्मान की भावना को बढ़ावा देता है।
दुनिया के कई देशों में बोली जाती है हिंदी
भारत में अंग्रेजी, उर्दू के बाद दुनिया में तीसरी सबसे अधिक कोई भाषा बोली जाती है तो वह हिंदी भाषा है। भारत के अलावा मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद, टोबैगो और नेपाल जैसे देशों की एक बड़ी आबादी हिंदी बोलती है। हिंदी को भारत के साथ फिजी में भी राजभाषा का दर्जा प्राप्त है। हिंदी भाषा की फिल्में और गाने दुनिया भर में लोकप्रिय हैं। मौजूदा दौर में बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए हिंदी भाषा को अपना रही है।
साल में 2 बार क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस ?
हर साल दो बार हिंदी दिवस मनाया जाता है ऐसे में अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि, यह दिवस साल में 2 बार क्यों मनाया जाता है? तो आइए जानते इस आर्टिकल की मदद से। दरअसल,10 जनवरी और 14 सितंबर, दोनों ही हिंदी दिवस के रूप में मनाए जाते हैं। लेकिन 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस और 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। दोनों का उद्देश्य हिंदी का प्रचार-प्रसार करना है, लेकिन इनके बीच एक ऐतिहासिक अंतर है। बता दे कि, राष्ट्रीय हिंदी दिवस की शुरुआत इसलिए हुई क्योंकि इसी दिन हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया था। वहीं, विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर बढ़ावा देना और उसे वैश्विक पहचान दिलाना है।
10 जनवरी: विश्व हिंदी दिवस का इतिहास
10 जनवरी का दिन हिंदी के अंतर्राष्ट्रीय प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित है। पहला विश्व हिंदी सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को नागपुर, महाराष्ट्र में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन में 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस महत्वपूर्ण घटना के बाद, 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। विशेष रूप से, नॉर्वे स्थित भारतीय दूतावास ने पहली बार विश्व हिंदी दिवस मनाया। इसके बाद, अन्य देशों में भी इस दिन का आयोजन शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य हिंदी को वैश्विक भाषा के रूप में प्रतिष्ठित करना है।
14 सितम्बर राष्ट्रीय हिन्दी दिवस
भारत में हिंदी भाषा का अपना अलग ही महत्व है। हिंदी भाषा को मान्यता देते हुए 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया था। लेकिन राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सुझाव पर पहली बार हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत 1953 में हुई। हिंदी भाषा देश के अधिकतर क्षेत्रों में बोली जाती जिस कारण हिंदी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया गया था। हिंदी के लिए 14 तारीख का चुनाव खुद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था तब से लेकर आज तक 14 सितंबर को पूरे भारत में हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन हिंदी के महत्व को उजागर करने के लिए कई स्कूल्स कॉलेजेस में समारोह और कार्यक्रम आयोजित होते हैं। सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में हिंदी से संबंधित प्रतियोगिताएं,सेमिनार होते हैं। साथ ही, हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान देने वालों को राष्ट्रभाषा कीर्ति पुरस्कार और राष्ट्रभाषा गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
हिंदी भाषा का महत्व कुछ इस प्रकार है
- राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक
- राजभाषा के रूप में महत्वपूर्ण
- वैश्विक स्तर पर पहचान
- जन-जन की भाषा के रूप में महत्वपूर्ण
- राष्ट्रीय एकता का प्रतीक
हिंदी भाषा राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है, क्योंकि यह भाषा देश के विभिन्न क्षेत्रों में बोली जाती है और लोगों को एक साथ जोड़ती है। हिंदी भाषा के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों के लोग एक दूसरे से जुड़ सकते हैं और अपने विचारों और संस्कृतियों को साझा कर सकते हैं। हिंदी भाषा के कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं जो इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बनाते हैं जैसे, व्यापक बोली जाने वाली भाषा, राजभाषा, साहित्य और संस्कृति, जो देश के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एक साथ जोड़ती है।
- सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक
हिंदी भाषा हमारी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षक है, क्योंकि यह हमारे देश के इतिहास, परंपराओं, और मूल्यों को संजोए हुए है। हिंदी भाषा में हमारे पूर्वजों की कहानियां, कविताएं, और गीत हैं, जो हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं। हिंदी भाषा के माध्यम से हम अपनी संस्कृति को अगली पीढ़ियों तक पहुंचा सकते हैं और उन्हें हमारे देश के गौरवशाली इतिहास से जुडे हुए हैं जैसे कि, प्राचीन साहित्य,लोक संस्कृति,धार्मिक महत्व आदि।
- प्राचीन साहित्य: हिंदी भाषा में प्राचीन साहित्य का भंडार है, जिसमें महाकाव्य, कविताएं, और कहानियां शामिल हैं।
- लोक संस्कृति: हिंदी भाषा में लोक संस्कृति के तत्व शामिल हैं, जैसे कि लोकगीत, लोकनृत्य, और लोककथाएं।
- धार्मिक महत्व: हिंदी भाषा में धार्मिक महत्व भी है, क्योंकि यह भाषा हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों जैसे कि, रामायण और महाभारत की भाषा है।