Wikileaks एक ऐसा नाम जिसने पिछले दो दशकों मे एक नहीं बल्कि कई बार पूरी दुनिया मे हलचल मचाने का काम किया है। Wikileaks ने मीडिया के रोल को नए सिरे से परिभाषित किया था। उसने यह दिखाया कि नागरिक पत्रकारिता और स्वतंत्र सूचना कितनी महत्वपूर्ण होती हैं। अगर आप में से किसी ने इसका अब तक नाम नहीं सुना तो ये एक ऐसी वेबसाइट है जो देशों, सरकारों और उनकी नीतियों के बारे में महत्वपूर्ण खुफ़िया जानकारियों को इंटरनेट पर उपलब्ध कराती है जो आम तौर पर लोगों को उपलब्ध नहीं होती हैं। ‘जूलियन असांज’ ने 4 अक्टूबर 2006 को इसकी स्थापना की थी।
Wikileaks की सूचनाएं जितनी सनसनीखेज़ होती है, जूलियन असांज का जीवन भी उतना ही दिलचस्प है। वे एक बंजारे जैसा जीवन जीते थे और आमतौर पर उनके पास सिर्फ दो बैग रहते थे। एक बैग में उनके कपड़े और दूसरे में उनका लैपटॉप। जूलियन असांज का जन्म 3 जुलाई 1971 को ऑस्ट्रेलिया के टास्मानिया में हुआ। उनका बचपन काफी कठिनाइयों में बीता। उन्होंने कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में रुचि विकसित की और बाद में एक हैकर बन गए। Wikileaks के जरिए उन्होंने कई देशों की सरकारों और बड़े संगठनों द्वारा छिपाए गए काले रहस्यों को उजागर करने का कार्य किया था।
Wikileaks ने 2010 में कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को लीक करके पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया। इनमें से सबसे प्रमुख था अमेरिकी सेना द्वारा इराक में किए गए युद्ध अपराधों का विवरण। उसने अमेरिकी सैन्य हेलीकॉप्टर से लिया गया वीडियो प्रकाशित किया था जिसमें इराक के बगदाद में नागरिकों की हत्या दिखाई गई थी। प्रसारण पर एक आवाज ने पायलटों से “सबको आग लगाने” का आग्रह किया और सड़क पर मौजूद व्यक्तियों पर हेलीकॉप्टर से गोलियां चलाई गईं। जब घायलों को लेने के लिए एक वैन घटनास्थल पर पहुंची तो उस पर भी गोलीबारी की गई। इस हमले में रॉयटर्स के फोटोग्राफर नमीर नूर-एल्डीन और उनके सहायक सईद चमाघ दोनों मारे गए। इस लीक ने यह साबित कर दिया कि कैसे युद्ध में नागरिकों को नुकसान पहुंचाया गया और मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ।
Wikileaks के खुलासे ने विश्व भर में भूचाल मचा दिया था। कई देशों की सरकारों ने इसकी आलोचना की, जबकि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इसे एक नायक के रूप में देखा। असांज को विभिन्न देशों में गिरफ्तार करने के प्रयास किए गए, और उन्होंने कई सालों तक लंदन के इक्वाडोर के दूतावास में शरण ली। कुछ लोगों का मानना है कि असांज ने राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल दिया। उन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने संवेदनशील जानकारी को लीक कर दिया, जिससे लोगों की जान को खतरा हो सकता था।
इसके अलावा 2010 मे डिप्लोमैटिक केबल्स नाम के लीक मे 250,000 से अधिक अमेरिकी डिप्लोमैटिक केबल्स लीक किए गए, जो विभिन्न देशों में अमेरिकी राजनयिकों की राय और रिपोर्टें थीं। इस लीक ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों में तनाव पैदा किया और कई देशों ने इसकी कड़ी निंदा की।
2016 मे डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी (DNC) ईमेल लीक मे हिलेरी क्लिंटन के राष्ट्रपति अभियान से संबंधित ईमेल लीक किए गए, जिसमें DNC के अधिकारियों द्वारा क्लिंटन के समर्थन में बर्नी सैंडर्स के खिलाफ साजिश का खुलासा हुआ। इस लीक ने अमेरिकी राजनीति में बड़ा विवाद खड़ा किया और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
2020 मे CIA के “वैंपायर” प्रोजेक्ट के दस्तावेज लीक हुए, जिसमें कहा गया कि एजेंसी मोबाइल फोन और स्मार्ट उपकरणों की निगरानी कर रही थी। यह खुलासा निजता के अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन को लेकर विवाद का विषय बना।
असांज को 2019 में लंदन में गिरफ्तार किया गया। उनके खिलाफ कई आरोप लगे, जिसमें यौन उत्पीड़न और सरकारी गोपनीयता का उल्लंघन शामिल था। उन्हें अमेरिका द्वारा प्रत्यर्पित करने की मांग का सामना करना पड़ा, जहां उन पर जासूसी के आरोप लगे। उनकी गिरफ्तारी ने कई मानवाधिकार संगठनों और पत्रकारों के बीच चिंता का विषय बना।
2021 मे जूलियन असांज की सुनवाई और Wikileaks के खुलासों से जुड़ी जानकारी और असांज की गिरफ्तारी के बाद की घटनाएं लीक हुईं। जिससे असांज के खिलाफ अमेरिकी सरकार की कार्यवाही ने मानवाधिकार समूहों और पत्रकारों के बीच बड़े विवाद को जन्म दिया।Wikileaks के लीक ने न केवल सूचना की स्वतंत्रता को बढ़ावा दिया, बल्कि वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक विवादों को भी जन्म दिया। Wikileaks ने मीडिया और समाज पर गहरा प्रभाव डाला है। उन्होंने यह दिखाया कि स्वतंत्र सूचना और पारदर्शिता कितनी महत्वपूर्ण हैं। हालांकि उनकी प्रोसेस पर विवाद होता रहा है, लेकिन Wikileaks की कहानी ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि हम सूचना के अधिकार और जिम्मेदारी को कैसे समझते हैं। आज भी, Wikileaks और असांज की विरासत पर चर्चा जारी है। उनसे प्रभावित होकर ‘The Fifth Estate नाम की एक फिल्म भी बन चुकी है। हालाकि आज भी यह सवाल उठता है कि क्या स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच सही संतुलन स्थापित किया जा सकता है।