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Reading: A. P. J. Abdul Kalam का अखबार बेचने से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर
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Fourth Special

A. P. J. Abdul Kalam का अखबार बेचने से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का सफर

कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति का पद भी संभाला था।

Last updated: अक्टूबर 15, 2024 3:42 अपराह्न
By Divya 7 महीना पहले
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7 Min Read
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“विजेता वो नहीं होते जो कभी फेल नहीं होते बल्कि वो होते हैं जो कभी हार नहीं मानते।” यह कहावत है डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जिनकी आज पूरा देश 93वीं जयंती मना रहा है।

देश के 11वें राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से पहचाने जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 15 अक्टूबर यानी आज 93वीं जयंती है। देश के मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध कलाम के जन्मदिन को ‘World Students Day’ के नाम से भी जाना जाता है। 15 अक्टूबर साल 2010 को संयुक्त राष्ट्र ने डॉ. कलाम के जन्मदिन का सम्मान करने, उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और उनके द्वारा दिए गए मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए ‘World Students Day’ के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। डॉ. कलाम का मानना था कि, एक मात्र छात्र ही हैं जो दुनिया में बड़े बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने साइंस और टोक्नोलॉजी, विशेषकर मिसाइल और अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है लेकिन उनका असली जुनून सिर्फ छात्र को पढ़ाने और प्रेरित करने में था।

दरअसल डॉ. कलाम ने अपना अधिकतर जीवन युवा छात्रों को प्रेरित करने और अच्छी शिक्षा देने के लिए समर्पित कर दिया था। डॉ. एपीजे कलाम का पूरा नाम “अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। वह एक भारतीय वैज्ञानिक और राजनीतिज्ञ नेता भी थे जो बाद में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने और उन्होंने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ‘World Students Day’ पर हर साल एक खास थीम होती है। इस साल 2024 में इस दिवस की थीम ‘छात्रों के भविष्य के लिए समग्र शिक्षा’ है।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था। वह अपने परिवार के साथ तमिलनाडु के शहर रामेश्वरम में रहते थे। उनके पिता जैनुलाब्दीन के पास एक नाव थी और वह एक स्थानीय मस्जिद के इमाम भी थे। वहीं, उनकी मां आशिमा घर पर काम करती थी। कलाम के परिवार में चार भाई और एक बहन थीं, जिनमें से वह सबसे छोटे थे। कलाम के पूर्वज धनी व्यापारी और जमींदार थे और उनके पास बहुत सारी जमीन और संपत्तियां थी। लेकिन समय के साथ तीर्थयात्रियों को लाने-ले जाने और किराने का सामान बेचने के कारण व्यवसाय में काफी नुकसान उठाना पड़ा। छोटी सी उम्र में कलाम को अपने परिवार की आय बढ़ाने के लिए अख़बार बेचना पड़ा था। एजुकेशन की बात करें तो उन्होंने रामेश्वरम से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद 1954 में त्रिची के सेंट जोसेफ कॉलेज से साइंस की डिग्री हासिल की थी। फिर 1957 में उन्होंने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 1992 से 1999 तक प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1998 में पोकरण-2 परमाणु परीक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और इसलिए उन्हें ‘भारत का मिसाइल मैन’ का खिताब भी मिला था। उसके बाद डॉ. कलाम ने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति का पद भी संभाला था और राष्ट्रपति बनने से पहले वे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) में एयरोस्पेस इंजीनियर के रूप में काम कर रहे थे।
एक वैज्ञानिक के रूप में उन्होंने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान में अपना करियर शुरू किया था। इसके अलावा, उन्होंने इसरो में भारत के पहले सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया था। उन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के अगले ही दिन शिक्षण कार्य फिर से शुरू कर दिया था। उन्होंने कई स्कूलों और कॉलेजों का दौरा किया और छात्रों से मुलाकात की। वह हमेशा छात्रों को बड़े सपने देखने और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करते थे।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने 2005 में स्विट्जरलैंड का दौरा किया था। जिसके बाद देश ने उनकी यात्रा के सम्मान और सम्मान में 26 मई को ‘विज्ञान दिवस’ के रूप में घोषित किया था। उन्हें पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, वीर सावरकर पुरस्कार, रामानुजन सहित कई पुरस्कार प्राप्त हुए थे। डॉ. अब्दुल कलाम के सम्मान में विभिन्न शैक्षणिक, वैज्ञानिक संस्थानों और कुछ स्थानों का नाम रखा गया है, जैसे उत्तर प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय (यूपीटीयू) का नाम बदलकर “एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय” कर दिया गया, केरल प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर “एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय” कर दिया गया था।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम देश के लिए अपने योगदान के कारण लोगों के दिलों में अभी तक अमर है। जब उनका 83 साल की उम्र में निधन हुआ था यह पूरे देश के लिए एक चौंकाने वाली खबर थी, क्योंकि एक पवित्र आत्मा हमेशा के लिए हमसे दूर चली गई। अब्दुल कलाम IIM शिलांग में एक कार्यक्रम में युवाओं के लिए भाषण दे रहे थे। भाषण के बीच में ही उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वे बेहोश हो गए। हालांकि, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टर उन्हें बचा नहीं पाए। उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को गुगती ले जाया गया और वहां से एयरफोर्स के विमान से नई दिल्ली ले जाया गया था। उनके पार्थिव शरीर को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में लपेटा गया और उनके गृहनगर लाया गया था।

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