“लड़कियाँ तितलियों की तरह होती हैं, वो उन्मुक्त गगन में आजादी से उड़ते रहना चाहती हैं। लेकिन कुछ लोग उन्हें बस अपनी हथेलियों में कैद करने वाली वस्तु समझते हैं। और जब उस उड़ान को मुट्ठी में कैद किया जाता है तो केवल उस तितली की उड़ान नहीं टूटती…ढहने लगता है पूरा समाज।
साल था 2022, उत्तराखंड जिसे लोग देवभूमि कहते हैं, वहाँ से एक दिल को झकझोर देने वाला एक केस सामने आया। लेकिन उस घटना से पहले…एक स्वाभिमानी लड़की का एक किस्सा। अंकिता पौड़ी जिले के डोभ श्रीकोट गांव के एक गरीब परिवार से थी। उनके पिता वीरेंद्र भंडारी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते थे। अंकिता होटल मैनेजमेंट का कोर्स कर रही थीं, लेकिन कोविड के दौरान पैसों की तंगी की वजह से पढ़ाई छोड़नी पड़ी। अंकिता ने काम की तलाश शुरू कर दी।
अंकिता को अपने दोस्त पुष्प के जरिए पता लगा कि ऋषिकेश के एक रिसॉर्ट में वैकेंसी है। अंकिता ने कोशिश की और उसे रिसेप्शनिस्ट का काम मिल गया। फिर पहली सैलरी मिलने से पहले ही अंकिता 18 सितंबर की रात अंकिता रिसॉर्ट से गायब हो गई। ये रिज़ॉर्ट, किसी आम आदमी का नहीं पूर्व बीजेपी नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य का था।
सितंबर 2022 की एक रात कोई चीख नहीं बल्कि सन्नाटा था, गंगा मौन थी…मौन…मातम का मौन।
मासूम अंकिता की आँखों में कोई बड़ा सपना नहीं था…बस कुछ था तो स्वाभिमान, आत्मनिर्भरता, और एक शांत सी ज़िंदगी की आकांक्षा। लेकिन इस आत्मनिर्भर बनते भारत की बेटियों को आत्मनिर्भर होते देखना कई पुरुषों को अभी भी खटकता रहता है।
अंकिता ने अपने सहयोगियों से और एक मित्र को ये बताया था कि उस पर “रिज़ॉर्ट के VIP मेहमानों” को ‘संतुष्ट’ करने का दबाव डाला जा रहा है। ये कुछ लफ्ज़ ही एक सवाल थे, शर्मनाक, घृणास्पद और नारी अस्मिता को कुचलते हुए उनके अस्तित्व पर सवाल उठाने वाले।
19 सितंबर की रात, अंकिता जब अचानक लापता हो गई। अंकिता के माता-पिता ने शिकायत की, लेकिन FIR तक दर्ज करने में पुलिस ने देरी की।शायद इसलिए क्योंकि आरोपी एक नेता का बेटा था। जब तक मामला मीडिया में नहीं आया, पुलिस का रवैया ढीला ही रहा।लेकिन जैसे ही जनता जागी,जैसे ही सोशल मीडिया पर “Justice for Ankita” की पुकार गूंजने लगी,वैसे ही राज्य सरकार को भी हरकत में आना पड़ा।
23 सितंबर को पुलकित आर्य, उसके दो साथी अंकित गुप्ता और सौरभ भारती को गिरफ्तार किया गया। हालांकि घटना का कोई आंखों देखा गवाह नहीं था। रिजॉर्ट के सीसीटीवी फुटेज खराब थे। शुरुआत में रिजॉर्ट के कुछ कर्मचारियों ने भी पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की।
सवाल था कि अंकिता के साथ 18 सितंबर 2022 की शाम क्या हुआ था? वह कैसे पानी में गिरी? किसने गिराई? 24 सितंबर 2022 को चीला नहर में अंकिता का शव मिला। जब पोस्टमार्टम हुआ तो रिपोर्ट में ऐसी कोई बात (दुष्कर्म) सामने नहीं आई जिसके बारे में कुछ लोग आशंका जता रहे थे।
जनवरी 2023 को कोटद्वार की ADJ कोर्ट में केस की पहली सुनवाई हुई। सरकारी वकील जितेन्द्र रावत ने पुलिस की 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। एक लंबी न्यायिक प्रक्रिया चली और अंततः कल यानी 30 मई 2025 को, पुलकित आर्य, अंकित गुप्ता, और सौरभ भारती को ‘आजीवन कारावास’ की सज़ा सुनाई गई। तीनों में से पुलकित आर्य पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 201 (साक्ष्यों को गायब करना) और 354ए (यौन उत्पीड़न) के तहत आरोप लगाए गए। बाकी दो, भास्कर और गुप्ता पर आईपीसी की धारा 302 और 201 के तहत आरोप लगाए गए।
ये न्याय था,पर अधूरा। क्योंकि अंकिता वापस लौटकर कभी नहीं आ सकती। जो खो गया वो एक जीवन नहीं, बल्कि एक बेहतर भविष्य की संभावना थी। एक कविता थी, जो पूरी होने से पहले ही मिटा दी गई।
एक अखिरी सवाल मन में आ रहा है कि, क्या हम एक ऐसा समाज बना पाएँगे,जहाँ किसी लड़की को ये न कहना पड़े कि, “मैं डरती हूँ, क्योंकि मेरे आत्मसम्मान की कोई क़ीमत नहीं है?”या फिर हम ऐसे ही हर अंकिता को एक के बाद एक खोकर बस मोमबत्तियाँ जलाते रहेंगे?